नेपोलियन फ्रांस में डाइरेक्टरी का प्रधान था। बाद में वह अपनी वीरता तथा योग्यता के बल पर फ्रांस का तानाशाह बन बैठा। उसने ऑस्ट्रिया, प्रशा तथा रूस को पराजित किया था। वह इंग्लैण्ड को भी हराना चाहता था, किन्तु इंग्लैण्ड की शक्तिशाली नौसेना के कारण वह ऐसा नहीं कर सका। नेपोलियन ने अपनी शक्ति को बढ़ाकर फ्रांस के यश को चारों ओर फैलाया था। अपने शासनकाल में उसने अभूतपूर्व विजय-श्रृंखलाओं का निर्माण किया था, जिसे देखकर सम्पूर्ण यूरोप आतंकित हो उठा था। अपनी आश्चर्यजनक विजयों से उसने फ्रांस की जनता का हृदय जीत लिया था। उसने 10 नवम्बर, 1799 ई० को डाइरेक्टरी को भंग कर स्वयं को फ्रांस का प्रथम कांसल निर्वाचित करवा लिया। सन् 1799 ई० से 1804 ई० तक उसने फ्रांस में अनेक महत्त्वपूर्ण सुधार किये। उसने कानूनों का संहिताकरण किया जो नेपोलियन कोड के नाम से जाना जाता है। उसके शासनकाल में फ्रांस यूरोप का सबसे समृद्ध और शक्तिशाली देश बन गया था। यूरोप के मित्र-राष्ट्रों ने 18 जून, 1815 ई० में नेपोलियन को वाटरलू नामक स्थान पर परास्त कर सेण्ट हेलेना द्वीप पर जीवन के अन्त तक कैद रखा।