यातायात (परिवहन) के साधन
यातायात के साधनों से अभिप्राय उन साधनों से है जो लोगों, वस्तुओं, डाक आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं। मोटे तौर पर यातायात के साधनों को निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है
1. थल यातायात – रेल यातायात तथा सड़क यातायात।
2. जल यातायात – आन्तरिक जलमार्ग तथा बाह्य जलमार्ग–नाव, जहाज, मोटर-बोट, स्टीमर आदि।
3. वायु यातायात – हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर आदि। तीनों प्रकार के यातायात के साधनों का संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है
1. थल यातायात – इसके अन्तर्गत मुख्यतया दो प्रकार के यातायात के साधन आते हैं- (i) सड़क यातायात तथा (ii) रेल यातायात।
(i) सड़क यातायात – सड़क यातायात का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण साधन है। सड़कों पर कार, मोटर, टूक, रिक्शे, ताँगे, ठेले, पशु आदि के द्वारा लोगों तथा सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया जाता है। सड़कें गाँवों, कस्बों तथा नगरों को एक-दूसरे से जोड़ती हैं। निर्माण की दृष्टि से सड़कें दो प्रकार की होती हैं-कच्ची सड़कें तथा पक्की सड़कें। प्रबन्ध की दृष्टि से पक्की सड़कों को भारत में पाँच वर्गों में बाँटा जाता है— (1) राष्ट्रीय राजमार्ग, (2) प्रान्तीय राजमार्ग, (3) जिला सड़कें, (4) ग्रामीण सड़कें तथा (5) सीमा सड़कें। देश में सड़कों की कुल लम्बाई लगभग 33 लाख किमी है।
(ii) रेल यातायात – आन्तरिक परिवहन की दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था में रेलों का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। भारत के रेल यातायात का एशिया महाद्वीप में प्रथम तथा विश्व में चौथा स्थान है। भारतीय रेलमार्गों की लम्बाई लगभग 63,221 किलोमीटर है। देश में प्रतिदिन लगभग 7,116 स्टेशनों के बीच 13 हजार गाड़ियाँ चलती हैं तथा लगभग 14.5 लाख किलोमीटर की दूरी तय . करती हैं। भारतीय रेल व्यवस्था में 16 लाख लोग लगे हुए हैं। कुशल प्रबन्ध हेतु भारत में रेल यातायात को 16 प्रशासनिक मण्डलों में विभाजित किया गया है। इस प्रतिष्ठान में सरकार की लगभग १ 9,000 करोड़ की पूंजी लगी हुई है।
2. जल यातायात – जलमार्गों के अनुसार जल यातायात को दो भागों में बाँटा जाता है—(i) आन्तरिक जल यातायात तथा (ii) समुद्री यातायात। देश के भीतरी भागों में नदियाँ तथा नहरें आन्तरिक जल परिवहन का मुख्य साधन हैं। गंगा, यमुना, घाघरा, ब्रह्मपुत्र आदि समतल मैदानों में धीमी गति से बहने वाली नदियाँ नावें तथा स्टीमर चलाने के लिए उपयुक्त हैं। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल की नहरें तथा ओडिशा की तटीय नहरें आन्तरिक यातायात के लिए उपयोगी हैं। समुद्री यातायात का भारत में प्राचीन काल से ही महत्त्व रहा है। भारतीय जलयाने समुद्री मार्ग से दूर स्थित देशों को माल ले जाते हैं तथा वहाँ से ढोकर लाते हैं। समुद्री यातायात की सुविधा हेतु देश में बारह बड़े बन्दरगाह हैं, जिनमें छ: पूर्वी तट पर तथा छ: पश्चिमी तट पर हैं।
3. वायु यातायात – इसे मुख्य रूप से निम्नलिखित भागों में विभाजित किया गया है–
(1) इण्डियन एयरलाइन्स निगम – यह निगम देश के आन्तरिक भागों तथा समीपवर्ती देशों पाकिस्तान, म्यांमार, नेपाल, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव एवं श्रीलंका के साथ वायुमार्गों की व्यवस्था करता है। इस निगम का प्रधान कार्यालय नयी दिल्ली में है। वायुदूत-20 जनवरी, 1981 ई० से वायुदूत नामक निगम स्थापित किया गया। बाद में 1992-93 ई० में वायुदूत का विलय इण्डियन एयरलाइन्स (वर्तमान में इंडियन) में कर दिया गया।
(ii) एयर इण्डिया निगम – यह निगम विदेशों के लिए वायुमार्गों की व्यवस्था करता है तथा लगभग 97 देशों के साथ भारत का सम्बन्ध स्थापित करता है। इस निगम द्वारा संचालित 4 प्रमुख वायुमार्ग हैं—(1) मुम्बई-काहिरा-रोम-जेनेवा-पेरिस-लन्दन। (2) दिल्ली-अमृतसर-काबुल-मास्को।(3) कोलकाता-सिंगापुर-सिडनी–पर्थ।(4) मुम्बई-काहिरा-रोम-डसेलडर्फ-लन्दन-न्यूयॉर्क।
(iii) इसके पश्चात् पवन हंस लिमिटेड की स्थापना 15 अक्टूबर, 1985 ई० में हुई, जो दुर्गम क्षेत्रों में हेलीकॉप्टरों की सेवाएँ उपलब्ध कराता है। इसके अतिरिक्त देश में निजी वायु सेवाएँ भी संचालित हो रही हैं। लगभग 41 निजी एयर लाइनें एयर टैक्सी और घरेलू वायुयानों से घरेलू हवाई यातायात के 42 प्रतिशत भाग को संचालित कर रहे हैं। वर्तमान में भारत में पाँच अन्तर्राष्ट्रीय तथा बीस से अधिक राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं।