वस्त्रों का जीवन में उपयोग तथा महत्त्व
सभ्य मानव का वस्त्रों से घनिष्ठ सम्बन्ध है। वस्त्रविहीन मनुष्य को मानव समाज में कदापि सम्मिलित नहीं किया जा सकता। वस्त्रों से मनुष्य अपने शरीर को प्राकृतिक कारकों से बचाता है। वस्त्रों से ही वह अपने शरीर को सजाता-सँवारता है। वेशभूषा के अतिरिक्त व्यक्ति के दैनिक जीवन में वस्त्रों के अन्य अनेक उपयोग भी हैं। मनुष्य के लिए वस्त्रों के उपयोग एवं महत्त्व का संक्षिप्त विवरण निम्नवर्णित है
(1) शरीर को सुरक्षा प्रदान करना:
वस्त्र हमें विभिन्न प्राकृतिक कारकों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। सर्दी-गर्मी तथा बरसात आदि कारकों से बचने के लिए वस्त्र धारण किए जाते हैं। गर्मी में लू से बचने में वस्त्र सहायक होते हैं। वस्त्रविहीन शरीर सूर्य की तेज किरणों से झुलस सकता है। सर्दी से बचने के लिए ऊनी वस्त्र धारण किए जाते हैं। बरसात से बचने के लिए जल अवरोधक वस्त्र तथा छाते आदि इस्तेमाल किए जाते हैं।
(2) शरीर को छिपाने में सहायक:
सभ्य समाज में मनुष्य द्वारा शरीर की गोपनीयता को बनाए रखने के लिए वस्त्र धारण किए जाते हैं। वस्त्रविहीन अर्थात् नग्न व्यक्ति को असभ्य अथवा पागल ही माना जाता है।
(3) वस्त्र शरीर को सजाने सँवारने में सहायक होते हैं:
मनुष्य के लिए वस्त्रों का एक विशिष्ट महत्त्व है–शरीर को सजाना तथा सँवारना। विभिन्न प्रकार की आकर्षक एवं उत्तम वेशभूषा धारण करके स्त्री-पुरुष अपने शरीर को अधिक-से-अधिक सजाते-सँवारते हैं। उत्तम वेशभूषा से व्यक्तित्व में अतिरिक्त निखार आ जाता है।
(4) वस्त्र सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करते हैं:
वस्त्र व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि करने वाले कारक भी हैं। धनवान् लोग अधिक-से-अधिक कीमती तथा उत्तम वस्त्र धारण करके समाज में प्रतिष्ठा अर्जित करते हैं। कीमती वस्त्रों के अतिरिक्त उचित ढंग से वस्त्र धारण करना, सौम्य वस्त्र धारण करना आदि भी प्रतिष्ठा के चिह्न माने जाते हैं। इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति भद्दे ढंग से वस्त्र धारण करता है तो समाज में उसकी प्रतिष्ठा घट भी सकती है।
(5) वस्त्र व्यक्ति को विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं:
वस्त्रों को देखकर अनेक व्यक्तियों को सरलता से पहचान लिया जाता है। सामान्य रूप से स्कूल के बच्चों, सेना, पुलिस, डाक-तार विभाग, रेलवे तथा अस्पताल के कर्मचारियों आदि की वेशभूषा निर्धारित होती है। ऐसे व्यक्ति की वेशभूषा को देखकर ही उसकी पहचान की जा सकती है।
(6) वस्त्रों के कुछ अन्य उपयोग:
वेशभूषा के अतिरिक्त वस्त्रों के कुछ अन्य उपयोग भी हैं। घर को सजाने-सँवारने तथा उपयोग की अनेक वस्तुओं के निर्माण में वस्त्रों की मुख्यतम भूमिका होती है। परदे, कालीन, बिस्तर, दरियाँ आदि इसके ज्वलन्त उदाहरण हैं। वस्त्रों से ही तम्बू तथा शामियाने बनाए जाते हैं। विभिन्न उद्योगों में भी वस्त्रों का अत्यधिक उपयोग होता है। दैनिक जीवन में विभिन्न वस्तुओं को लाने-ले जाने के लिए कपड़ों से निर्मित थैले, बोरियाँ तथा रस्सियाँ आदि इस्तेमाल होते हैं। इसके अतिरिक्त चिकित्सा के क्षेत्र में भी कपड़े का भरपूर इस्तेमाल होता है। घाव हो जाने पर, शल्य चिकित्सा होने पर, हड्डी टूट जाने अथवा मोच आ जाने पर उपचार के लिए कपड़ों से निर्मित पट्टियाँ ही सर्वाधिक उपयोगी सिद्ध होती हैं।