14 नवम्बर, 2004 ई. को यह कार्यक्रम पूरक श्रम रोजगार के सृजन को तीव्र करने के उद्देश्य से देश के 150 पिछड़े जिलों में शुरू किया गया। यह कार्यक्रम उन समस्त ग्रामीण गरीबों के लिए है, जिन्हें वेतन रोजगार की आवश्यकता है।
और जो अकुशल शारीरिक श्रम करने के इच्छुक हैं। इसे शत-प्रतिशत केन्द्र द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के रूप में लागू किया गया और राज्यों को निःशुल्क अनाज मुहैया कराया जाता रहा है। जिला स्तर पर कलेक्टर शीर्ष अधिकारी है और उन पर इस कार्यक्रम की योजना बनाने, कार्यान्वयन, समन्वयन और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी है। वर्ष 2004-05 में इस कार्यक्रम के लिए 20 लाख टन अनाज के अतिरिक्त 2,020 करोड़ रुपये नियत किए गए हैं।