पुस्तकालय शब्द का अर्थ है ‘पुस्तकों का संग्रहालय’। पुस्तकालय से पढ़ने वालों को पढ़ने के लिए पुस्तकें दी जाती हैं। वे उन्हें पढ़कर फिर वापस लौटा देते हैं।
पुस्तकालये कई प्रकार के होते हैं। प्रथम प्रकार के वे पुस्तकालय हैं, जो विद्यालयों में होते हैं। इनमें छात्रों और अध्यापकों को पुस्तकें पढ़ने के लिए दी जाती हैं। दूसरे प्रकार के वे पुस्तकालय हैं, जिन्हें धनवान लोग अपने घर पर ही बना लेते हैं। तीसरे प्रकार के राज्य पुस्तकालय होते हैं जहाँ से जनता को वहीं पर पुस्तकें पढ़ने के लिए दी जाती हैं। पुस्तकालय से निम्नलिखित लाभ हैं पुस्तकों को पढ़ने से पढ़ने वाले का ज्ञान बढ़ता है। जब कोई व्यक्ति पुस्तकालय जाता है तो वहाँ तरह-तरह की पुस्तकें दिखाई देती हैं। वह उनमें से कोई एक पुस्तक पढ़ने के लिए ले आता है। इस प्रकार व्यक्ति को पुस्तकें पढ़ने की आदत पड़ जाती है और इससे उसका ज्ञान बढ़ता है।
पुस्तकालय मनोरंजन का भी श्रेष्ठ साधन है। आजकल पुस्तकालयों में कहानी और उपन्यास आदि की पुस्तकों के ढेर लगे रहते हैं। इन पुस्तकों के पढ़ने से व्यक्ति का मनोरंजन होता है। आज सैकड़ों नागरिक अपने व्यस्त जीवन से फुर्सत पाते ही पुस्तकालय पहुँच जाते हैं और अपनी मनपसन्द पुस्तकें पढ़कर अपना मन बहलाते हैं।
पुस्तकालय से खाली समय का सदुपयोग होता है। अपने कामों से फुर्सत पाकर खाली समय को यूँ ही बरबाद करना अच्छा नहीं होता। कहा भी हैं “काव्य शास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम्।” अतः सबसे अच्छा तो यही है कि पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर पढ़ी जाएँ और अपने समय का सदुपयोग किया जाए।
अध्ययन को प्रोत्साहन-पुस्तकालयों से अध्ययन करने का बल मिलता है। वहाँ की नई-नई पुस्तकें देखकर उन्हें पढ़ने को मन करता है। छात्रों के लिए तो पुस्तकालयों को होना बहुत ही आवश्यक है। इसलिए आजकल प्रत्येक विद्यालय में एक पुस्तकालय अवश्य होता है। वहाँ से छात्र एक-दूसरे की । देखा-देखी पुस्तकें लाते हैं और पढ़ते हैं।
पुस्तकालय से धन की बचत भी होती है। पुस्तकालय का चन्दा बहुत ही कम होता है किन्तु उससे सैकड़ों रुपये की पुस्तकें लेकर पढ़ी जा सकती हैं। बहुमूल्य पुस्तकें तो प्रायः पुस्तकालय से ही लेकर पढ़ी जाती हैं। इस प्रकार अनेक पुस्तकें भी पढ़ने को मिल जाती हैं और धन भी अधिक खर्च नहीं होने पाता है।
वास्तव में पुस्तकालयों से समाज को बहुत लाभ होता है। हमें इनसे पूरा-पूरा लाभ तो उठाना ही चाहिए किन्तु उनके प्रति जो हमारे कर्तव्य हैं, उनका भी पालन करना चाहिए। हमें पुस्तकें समय पर लौटा देनी चाहिए। पुस्तकें किसी भी तरह से खराब नहीं करनी चाहिए। पुस्तकों पर चिह्न लगाना, चित्र या पृष्ठ फाड़ना बहुत बुरा है। हमें पुस्तकालय की पुस्तकों की मन से रक्षा करनी चाहिए।
वास्तव में पुस्तकालय हमारे सच्चे मित्र हैं। सरकार भी पुस्तकालयों को उत्तम बनाने तथा उनकी संख्या बढ़ाने के लिए प्रयत्न कर रही है। फिर भी हमारे देश में पुस्तकालयों की कमी है। आशा है यह कमी शीघ्र ही पूरी हो जाएगी।