चकवा-चकवी विचित्र पक्षी हैं। उन्हें चिरकाल से रात्रि के समय एक-दूसरे से अलग रहने का शाप मिला हुआ है। इसलिए ये पूरी रात एक-दूसरे से अलग रहकर विरह में क्रंदन करते रहते हैं। सुबह होते ही शाप का प्रभाव खत्म हो जाता है। इसी के साथ इनके विलाप की भी समाप्ति हो जाती है। कवि भावनाशील प्राणी है। उसे इस पक्षी को मिला यह शाप व्यथित कर देता है। प्रात:काल उनका विरह-कंदन बंद होने पर कवि को भी एक प्रकार की सुख की अनुभूति होती है।