अंग्रेजी फौज वजीर अली से खौफ खाती थी। इसलिए वजीर अली को अवध की गद्दी से उतारकर उसकी जगह नवाब आसिफउद्दौला के भाई सआदत अली को बिठा दिया गया। अंग्रेजों ने वजीर अली को तीन लाख रुपए सालाना वजीफा मुकर्रर करके बनारस भेज दिया। कुछ महीने बाद गवर्नर जनरल ने उसे कोलकाता तलब किया। इस पर वजीर अली को बहुत गुस्सा आया।
इसकी शिकायत करने के लिए बनारस में रहनेवाले कंपनी के वकील के पास पहुंचा। वकील ने उसकी शिकायत पर ध्यान न देकर उल्टे उसे बहुत बुरा-भला सुना दिया। वजीर अली इसे बर्दाश्त न कर सका और क्रोध में आकर खंजर से उसकी हत्या कर दी। इस प्रकार वकील द्वारा अपमानित होने के कारण वजीर अली ने उसकी हत्या की।