भारत सरकार ने 18 फरवरी, 2012 के दिन मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार नियम 2012 घोषित किया,
जिसमें मुख्य व्यवस्थाएँ:
- इस कानून में बालकों के शिक्षण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर विद्यालयी सुविधाओं और भौतिक सुविधाओं के निश्चित मापदण्ड निर्धारित किये है और उसके अनुसार कक्षा कक्ष, प्रयोगकक्ष, स्वच्छ पीने का पानी, बीजली, मध्याहन भोजन की व्यवस्था और गुणवत्ता, शिक्षकों की योग्यता और नियुक्ति के स्तर, विद्यालय को आर्थिक सहायता के रूप में दिया जानेवाला अनुदान की व्यवस्थाएँ निर्धारित की है ।
- इस कानून में 6 से 14 वर्ष के प्रत्येक बालक को उसके आवास के नजदीक हो ऐसे विद्यालय में प्रवेश देना । उमर के आधार जन्म के प्रमाणपत्र न होने के कारण किसी को भी प्रवेश देने से इनकार नहीं कर सकते ।
- प्राथमिक शिक्षा पूरी करे तब तक 14 वर्ष पूरे हुए हो तो भी शिक्षण चालू रखकर उसे मुफ्त शिक्षा प्रदान करना ।
- प्रवेश देते समय बालक 6 वर्ष का होना चाहिए और उसके जन्म का प्रमाण न हो तो भी होस्पिटल के रिकोर्ड, माँ-बाप के उमर संबंधी शपतपत्र के आधार पर प्रवेश देना होता है ।
- विद्यालय में किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना प्रवेश देने का आदेश है ।
- प्रवेश के समय दान या केपिटेशन फीस के रूप में या अन्य किसी भी प्रकार की फीस की रकम नहीं ले सकते है ।
- प्रवेश के समय बालक के माता-पिता का इन्टरव्यू लेकर प्रवेश देना या माता-पिता की आय और शैक्षणिक योग्यता या अयोग्यता के आधार पर प्रवेश परीक्षा लेकर प्रवेश नहीं दे सकते है ।
- 3 से 5 वर्ष के बालकों की शिक्षा के लिए प्रि-स्कूल (बालमंदिर) की शिक्षा, पाठ्यक्रम, अभ्यासक्रम, मूल्यांकन और उनकी शिक्षा के लिए खास प्रशिक्षण के संबंध में नियम प्रथमबार बनाकर क्रांतिकारी कदम उठाकर नर्सरी को कानून के अधीन लाया गया
- SC और ST के प्रवेशइच्छुक बालकों को उनकी कानून में दर्शाई पहचान के आधार पर बी.पी.एल. की सूची के परिवारों के बालकों को निजी प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 1 में वर्ग की कुल क्षमता के 25% तक अनिवार्य प्रवेश का आदेश दिया गया है ।
- विद्यालय के शिक्षक निजी ट्यूशन की प्रवृत्ति नहीं कर सकते ।
- विद्यालय के कम योग्यतावाले शिक्षकों को 5 वर्ष के निर्धारित समय में शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करनी है ।
- बालक को स्थानांतरण के सिवाय शिक्षा पूरी न करे उससे पहले विद्यालय से निकाल नहीं सकते ।
- निजी प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश प्राप्त SC, ST के बालकों की फीस निर्धारित शर्तों के तहत उस विद्यालय को सरकार चुकाएगी ।
- इस कानून की व्यवस्था के पालन का जिम्मा व्यवस्थातंत्र, ट्रिब्यूनल या राज्य काउन्सिल जैसी व्यवस्था की गयी है । इस अधिनियम के भंग के लिए विद्यालय के संचालकों को दण्ड तथा विद्यालय की मान्यता रद्द करने की कानूनी व्यवस्था है ।