‘एक वर्ष में प्रतिहजार की जनसंख्या पर जन्म लेनेवाले बालकों की संख्या को जन्मदर कहते हैं ।’
1951 में भारत में जन्मदर 39.9 थी जो घटकर 2011 में 21.8 रह गयी । घटने पर भी अधिक है । इस ऊँची जन्मदर के निम्नलिखित कारण हैं :
(1) सामाजिक परिबल : ऊँची जन्मदर के सामाजिक परिबल निम्नानुसार हैं :
(1) सार्वत्रिक विवाह प्रथा : भारत में विवाह एक धार्मिक संस्कार है । विवाह न करनेवाले व्यक्ति को समाज संदेह की दृष्टि से देखता है । जिससे बचने के लिए भारत में प्रत्येक स्त्री-पुरुष विवाह बंधन से जुड़ते हैं । दिव्यांग भी अपवाद नहीं हैं। परिणाम स्वरूप जन्मदर ऊँची होती है ।
(2) कम उम्र में विवाह : भारत में बाललग्न प्रथा पर प्रतिबंध है । परंतु फिर भी बालविवाह देखने को मिलता है । विशेष रूप से स्त्री का कम उम्र में विवाह होने से प्रजननकाल लंबा होता है और प्रजनन दर ऊँची होती है । विधवा विवाह को भी प्रोत्साह दिया गया है । इसलिए भी जन्मदर ऊँची होती है ।
(3) पुत्र प्राप्ति की इच्छा : भारतीय समाज पुरुषप्रधान है । यहाँ पुत्री की अपेक्षा पुत्र को महत्त्व तीन कारणों से दिया जाता है –
- पु-नाम के नर् से तारे उसे पुत्र कहते हैं – ऐसी मान्यता है ।
- वंश को बढ़ाएगा
- बुढापे में आर्थिक सहारा बनेगा ।
उपर्युक्त तीन कारणों से पुत्र की इच्छा में पुत्रियों को जन्म देते है । जिससे परिवार का कद बड़ा होता है ।
(4) संयुक्त परिवार प्रथा : भारत में संयुक्त परिवार प्रथा देखने को मिलती है । इसलिए परिवार का बोझ परिवार के सभी सदस्य उठाते हैं । इसलिए बालक बोझारूप नहीं बनता है । परिणाम स्वरूप जन्मदर ऊँची रहती है ।
(2) आर्थिक परिबल : ऊँची जन्मदर के लिए सामाजिक कारण के साथ-साथ आर्थिक परिबल जवाबदार है :
(1) शिक्षा का नीचा स्तर : ऊँची जनसंख्या वृद्धि के लिए शिक्षा का नीचा स्तर जवाबदार है । जिसमें विशेष रूप स्त्री-शिक्षा का नीचा प्रमाण जवाबदार है । अशिक्षित स्त्रियों की अपेक्षा प्राथमिक शिक्षा स्त्री कम बालकों को जन्म देती है । यही बात माध्यमिक और उच्च शिक्षा प्राप्त स्त्रियों पर भी लागु पड़ती है । इसलिए स्त्री शिक्षा और बालकों के बीच व्यस्त सम्बन्ध होता है । इस प्रकार शिक्षा का नीचा स्तर ऊँची जन्मदर के लिये जवाबदार है ।
(2) आय का नीचा स्तर : गरीब परिवारों में बालक बचपन से ही छोटा-मोटा काम करके अपने परिवार की आर्थिक सहायता करता है । जैसे – चाय की दुकान पर कप-प्लेट धोता है । होटल में बर्तन साफ करके परिवार की आय में वृद्धि करता है । गरीब परिवारों में कहावत है जितने हाथ उतना ही समृद्धि का साथ । इस मान्यता के कारण भी जन्मदर ऊँची रहती है ।
(3) बालमृत्युदर की ऊँची दर : भारत में बालमृत्युदर कम हुयी है । परंतु विकसित देशों से अभी भी अधिक है । ऊँची बाल मृत्युदर के कारण भी माता-पिता भविष्य में निःसंतान के भय से अधिक बालकों को जन्म देने की इच्छा रखते हैं । इसलिए ऊँची जन्मदर देखने को मिलती है ।
(3) अन्य कारण : आर्थिक, सामाजिक कारणों के साथ ऊँची जन्मदर के लिए अन्य परिबल भी जवाबदार हैं ।
(1) ऊँची प्रजनन दर : भारत जैसे गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में स्त्रियाँ कम उम्र से ही मातृत्व को धारण करने की क्षमता रखती है । एक अनुमान के अनुसार भारत में 15 से 49 वर्ष की स्त्रियाँ मातृत्व धारण करने की क्षमता रखती हैं । स्त्रियों का कम उम्र में विवाह होने से प्रजननकाल बढ़ जाता है । परिणाम स्वरूप जन्मदर ऊँची देखने को मिलती है ।
(2) परिवार नियोजन से सम्बन्धित जानकारी का अभाव : परिवार नियोजन अर्थात् आयोजित मातृत्व और पितृत्व द्वारा परिवार को समझपूर्वक मर्यादित रखना और दो बच्चों के बीच उचित समयमर्यादा (अंतर) निश्चित करना ।’ भारतीय समाज में गरीबी, सामाजिक रीति-रिवाज, धार्मिक मान्यताएँ के साथ शिक्षा का नीचा प्रमाण परिवार नियोजन के उपयोग में अवरोधक हैं । परिवार नियोजन के साधनों की जानकारी का अभाव एवं साधनों की अपर्याप्तता के कारण भी ऊँची जन्मदर देखने को मिलती है ।