प्रियोदा और उसके साथी हर रविवार की सुबह ‘संन्यासी आश्रम’ के लिए मुठिया मांगकर लाते थे। स्कूल के किसी छात्र या शिक्षक के बीमार पड़ने पर वे उसके अच्छे होने तक उसकी सेवा करते थे। उनके इसी सेवाभाव के कारण कस्बे के अधिकांश लोग प्रियोदा और उसके साथियों को पहचानते थे।