बड़े शहरों में आबादी बढ़ने का मुख्य कारण शहरी आकर्षण के अतिरिक्त निम्नलिखित तत्त्व हैं-
- आधुनिक सुविधाएं- बड़े नगरों में अस्पताल, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, स्कूल तथा सिनेमाघर होते हैं। ये सब सुविधाएं गांवों में नहीं होतीं। अत: गांवों से बहुत सारे लोग शहरों में पलायन कर जाते हैं।
- ग्रामों में शिक्षा का प्रसार- गांवों का शिक्षित वर्ग गांवों में ही नौकरी नहीं करता। उसे नौकरी करने के लिए बहुत दूर नगरों में जाना पड़ता है।
- गांवों के भ्रमित नवयुवक- गांवों के कुछ शिक्षित लोग खेती करना पसन्द नहीं करते। वे वहां की संयुक्त परिवार प्रणाली से दुःखी होने के कारण भी नगरों की ओर पलायन करते हैं।
- नगरों में रोजगार के साधन- नगरों में कारखाने तथा व्यापार की अधिक सुविधाएं होने के कारण शीघ्र रोजगार मिल जाता है। अतः कई ग्रामीण बेरोज़गार होने के कारण शहरों में आकर बस जाते हैं।
प्रभाव (प्रमुख समस्याएं)- भारत गांवों का देश है। बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में 10 में से 9 व्यक्ति गांवों में रहते थे। परन्तु अब स्थिति बदल गई है। प्रत्येक वर्ष लाखों व्यक्ति गांवों को छोड़कर शहरों की तरफ बढ़ रहे हैं। इससे शहरी जनसंख्या में बड़ी तेज़ी से वृद्धि हुई है। अब हर 4 में से 1 व्यक्ति शहर में रहता है। इसके अतिरिक्त शहरी जनसंख्या का अधिकांश भाग महानगरों में केन्द्रित हो गया है। बड़े नगरों में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या आज चिन्ता का विषय बन गई है। इसके कई दुष्परिणाम सामने आए हैं जिन्होंने अनेक समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं:
- नगरों में वर्तमान साधनों तथा उपलब्ध जन-सुविधाओं पर भारी दबाव पड़ गया है। लोगों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना कठिन होता जा रहा है।
- नगरों में सफाई आदि की समस्या निरन्तर बनी रहती है। इससे प्रदूषण फैलता है।
- शहरी जनसंख्या बढ़ने से रोज़गार के अवसर कम होते जा रहे हैं जिससे निर्धनता बढ़ रही है।
- शहरी जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ अपराधों में भी वृद्धि हो रही है।
- शिक्षा दिन-प्रतिदिन महंगी होती जा रही है।
- संयुक्त परिवार टूट गए हैं जिससे वृद्ध मां-बाप के लिए समस्याएं पैदा हो गई हैं।
- लोगों द्वारा गांवों को छोड़कर शहरों में जाने से कृषि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।