(क) भारत की संसदीय सरकार- संविधान के अनुसार भारत में संसदीय प्रणाली की सरकार है। इसमें संसद् सर्वोच्च है और वह जनता का प्रतिनिधित्व करती है। सरकार यूं तो केन्द्र में राष्ट्रपति के नाम पर तथा राज्यों में राज्यपाल के नाम पर चलाई जाती है, परन्तु वास्तव में सरकार को मन्त्रिपरिषद् ही चलाती है। मन्त्रिपरिषद् अपनी नीतियों के लिए संसद् (केन्द्र में) के प्रति उत्तरदायी है। राज्यों में भी यह विधायिका (जनता की प्रतिनिधि सभा) के प्रति उत्तरदायी है।
(ख) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार- भारतीय संविधान में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की व्यवस्था की गई है। इसके अनुसार 18 वर्ष या इससे अधिक आयु के प्रत्येक भारतीय नागरिक को मत देने का अधिकार दिया गया है। इस प्रकार प्रत्येक नागरिक केन्द्र तथा राज्य सरकारों के निर्वाचन में भाग ले सकता है।
(ग) स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका- भारतीय संविधान के अनुसार देश में स्वतन्त्र तथा निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना की गई है। इसका अर्थ यह है कि न्यायपालिका को कार्यपालिका के प्रभाव से मुक्त रखा गया है। इस प्रकार न्यायपालिका केन्द्र तथा राज्य सरकारों के बीच उत्पन्न विवादों का निपटारा निष्पक्ष रूप से करती है। ऐसी व्यवस्था संघीय प्रणाली में बहुत अधिक महत्त्व रखती है। इसके अतिरिक्त न्यायपालिका नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा भी करती है।