पुराने समय में आज की तरह आने-जाने के साधन न थे। साधारण लोग पैदल ही यात्रा करते थे। उन्हीं दिनों की घटना है। एक बुढ़िया लकड़ी टेकती हुई किसी काम से दूसरे गाँव जा रही थी। गर्मी के दिन थे। दोपहर होते-होते धूप तेज हो गई। बुढ़िया को जोर की प्यास लगी। थकावट और प्यास के कारण वह आगे न चल पाईं और रास्ते के किनारे एक पेड़ के नीचे बैठ गई। आते-जाते लोगों से वह पानी माँगती थी, पर उस प्यासी बुढ़िया पर किसीको तरस न आया।
एक बालक ने उस बुढ़िया की आवाज सुनी। उसका घर पास में ही था। वह दौड़कर घर से लोटा भरकर पानी ले आया। बुढ़िया ने पानी पिया। उसकी जान में जान आई। बालक आग्रह करके बुढ़िया को अपने घर ले गया और चारपाई पर बिठाया। बुढ़िया को बहुत आराम मिला। उसने लड़के को अपनी बाँहों में ले लिया और बोली, “तू सचमुच बहुत अच्छा बच्चा है।”