कन्नौज हर्षवर्धन की राजधानी था। इस पर विजय प्राप्त करना प्रभुसत्ता का चिन्ह माना जाता था। कन्नौज की स्थिति ऐसी थी कि इस पर अधिकार करने वाला शासक पूरी गंगा घाटी पर अधिकार कर सकता था। अतः कन्नौज पर अधिकार करने के लिए बंगाल-बिहार के पाल, मध्य भारत तथा पूर्वी राजस्थान के प्रतिहार तथा दक्कन के राष्ट्रकूट राजाओं के बीच संघर्ष हुआ। इस संघर्ष को त्रिपक्षीय संघर्ष का नाम दिया जाता है। यह संघर्ष लगभग 200 वर्ष तक चला। इस संघर्ष ने तीनों राजवंशों को आर्थिक दृष्टि से कमजोर बना दिया।