‘साक्षरता अभियान’ डॉ. कमलेश बंसल द्वारा रचित एक प्रसिद्ध कविता है। कवयित्री का मानना है कि स्वयं पढ़कर तथा अनपढ़ लोगों को पढ़ाकर अज्ञानता को दूर किया जा सकता है, जिससे देश उन्नति करेगा। साक्षर बनने के लिए हमें एक – एक शब्द याद करना चाहिए। अपना शब्द भण्डार बढ़ाना चाहिए।
कवयित्री ने अपनी इस कविता में साक्षरता अभियान के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि चिड़िया कहीं दूर जंगल से तिनका चुनकर लाती है और उन तिनकों को जोड़ जोड़ कर अपना एक छोटा – सा घोंसला बना लेती है। मुसाफ़िर एक – एक कदम बढ़ाकर अपने रास्ते पर चलते रहते हैं। वे अपने अन्दर हिम्मत और विश्वास जगाकर अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं। पानी की छोटी – छोटी बूंदें टपक – टपक कर घड़ा भर देती हैं।
यदि घड़े में छेद हो जाए तो पानी बूंद – बूंद कर के बह जाता है तथा घड़ा खाली हो जाता है। हम प्रतिदिन पढ़कर ज्ञानवान बन सकते हैं और इसी प्रकार एक – एक पैसा इकट्ठा कर के हम धन भी इकट्ठा कर सकते हैं। यदि हम मेहनत से धन तथा यश की प्राप्ति होती है। हम सब भारत देश के बच्चे हैं। हम आगे ही आगे बढ़ते जाएंगे। मेहनत करना हमारा धर्म है। हम कभी घबराएंगे नहीं। हम पढ़ – लिख कर अपने ज्ञान का विस्तार करेंगे। हम सभी को साथ लेकर चलेंगे। हम समाज में ऊँच – नीच के भेद – भाव को समाप्त करके अपने जीवन को धन्य बनाएंगे।