अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ के द्वारा रचित कविता ‘कर्मवीर’ के आधार पर कर्मवीरों में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-
1. निर्भय – कर्मवीर सदा निडर होते हैं। वे अपनी राह में आने वाली किसी भी स्थिति से टकराने के लिए सदा तैयार रहते हैं। विघ्न-बाधाएँ उनके रास्ते का रोड़ा नहीं बन पाती।
2. आत्मबल से संपन्न – कर्मवीर भाग्य के भरोसे पर नहीं रहते। उनमें अपार आत्मबल होता है। वे अपने भाग्य के भरोसे कभी नहीं रहते। वे किसी भी काम को करते हुए आत्मबल से उससे टकराते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं।
3. स्थिर बुद्धि – कर्मवीर चंचल स्वभाव के नहीं होते। वे स्थिर बुद्धि होते हैं। उनका ध्यान इधर-उधर व्यर्थ नहीं भटकता। वे अपने इस गुण से अपने बुरे दिनों को भी अच्छा बना लेते हैं।
4. निष्ठावान – कर्मवीर निष्ठावान होते हैं। वे आज का काम कल पर नहीं डालते। वे जो सोच लेते हैं उसे पूरा करते हैं। वे दूसरों से सहायता लेने की इच्छा कभी नहीं करते।
5. विश्वास से भरे हुए – कर्मवीर स्वयं पर विश्वास करते हैं। वे सब की बात सुनते हैं और अपने आत्मिक बल से उसे पूरा करने की योग्यता रखते हैं। वे दूसरों की सहायता से अपना काम नहीं करते बल्कि अपनी शक्ति से उसे संपन्न करते हैं।
6. कर्मठ – वे अपना समय व्यर्थ नहीं गंवाते। वे कभी भी परिश्रम से जी नहीं चुराते। अपनी कर्मठता से वे सबके आदर्श बन जाते हैं।
7. धैर्यवान – कर्मवीर अपार धैर्यवान होते हैं। ऊँचे पर्वत, गहरे सागर, दहकती अग्नि, डरावने जंगल आदि भी उनका रास्ता नहीं रोक पाते। वे हर स्थिति में उन पर विजय प्राप्त कर अपने लक्ष्य की प्राप्ति कर लेते हैं।