भारत में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रणाली को इसलिए चुना है क्योंकि इसके द्वारा 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके सभी नागरिक बिना किसी लिंग, जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा, स्थिति के, भेदभाव के अपना प्रतिनिधि लोकसभा व राज्य विधानसभाओं के लिए चुन सकते हैं जो केन्द्र व राज्य सरकारों का गठन करते हैं।