सिंध सभ्यता की लिपि को रहस्यमय इसलिए कहा जाता है क्योंकि अब तक इसे पढ़ा नहीं जा सका है।
विशेषताएँ–
(i) हड़प्पाई मुहरों पर एक पंक्ति के रूप में कुछ अंकित है। पुरातत्वविदों का कथन है कि शासक के नाम तथा पदवी का वर्णन है। अधिकांश अभिलेख संक्षिप्त हैं तथा सबसे बड़े अभिलेख में लगभग 26 चिह्न हैं,
(ii) यह लिपि स्वर तथा व्यंजनों पर आधारित वर्णमालीय रूप में न होकर चित्रात्मक रूप में है जो किसी बात या वस्तु का प्रतीक है। लिपि के चिह्नों की संख्या 375 से 400 के बीच है,
(iii) यह लिपि दायीं ओर से बायीं ओर लिखी जाती थी क्योंकि दायीं ओर अन्तराल अधिक है तथा बायीं ओर अन्तराल कम है; जैसे कि लिखते समय बायीं ओर अन्तराल कम पड़ गया हो,
(iv) इस लिपि की लिखावट बहुत-सी वस्तुओं; जैसेमुहरों, ताँबे के औजारों, मर्तबान के किनारों, मिट्टी की पट्टिकाओं, आभूषणों, अस्थियों तथा सूचनापट्टों पर प्राप्त हुई है।