यह कथन सत्य है कि मधुमक्खियों में सन्तति का निर्माण लैंगिक जनन द्वारा होता है। इनकी कॉलोनी में निम्न प्रकार के सदस्य पाये जाते हैं।
- नर जिन्हें ड्रोन कहा जाता है यह अगुणित होते हैं
- बन्ध्य कामगार यह द्विगुणित होते हैं
- मादा रानी (यह भी द्विगुणित होती हैं)
नर सदस्य सूत्री विभाजन द्वारा नर युग्मक बनाते हैं।
रानी मक्खी (द्विगुणित) अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित अण्डों का निर्माण करती है। बन्ध्य मक्खी युग्मक नहीं बनाती। कुछ अण्डे बिना निषेचन के सीधे ही नर मक्खियों में विकसित हो जाते हैं। इस प्रकार अण्डे से बिना निषेचन के ही जीव का बनना अनिषेकजनन कहलाता है। अतः नर अगुणित (heploid) होते हैं।
कुछ अण्डों का निषेचन नर मक्खी द्वार बनाये नर युग्मकों द्वारा हो जाता है। इस प्रकार द्विगुणित मक्खी बनती है। द्विगुणित युग्मनज से बने लार्वा को अगर रॉयल जेली खाने में प्राप्त होती है तब वह रानीमक्खी बन जाता है। रॉयल जेली के अभाव में शेष सभी (अधिकांशतः) लार्वा श्रमिक मक्खी के रूप में विकसित होते हैं।