पुष्पी पादपों में परागकोष द्विपालित (bilobed) होते हैं। प्रत्येक पालि (lobe) में दो कोष्ठ या लघु बीजाणुधानी होती है। दो पालियों के कारण यह डाइथिकस (dithecous) कहलाते हैं।
लघुबीजाणुधानी की संरचना- प्रत्येक लघुबीजाणुधानी पराग कोष की पूरी लम्बाई में फैली रहती है। अनुप्रस्थ काट में यह लगभग वृत्ताकार दिखाई देती है। इसकी भित्ति चार परतों से बनी होती है। सबसे बाहर की ओर एपीडर्मिस, उसके अन्दर ऐडोथीसियम, फिर मध्य परतें व सबसे अन्दर की ओर टेपीटम (Tapetum) होता है। बाहर के तीन स्तर सुरक्षात्मक आवरण हैं तथा पराग कोष के स्फुटन में भी मदद करते हैं, जिससे परिपक्व परागकण बाहर निकलते हैं। टेपीटम विकसित होते परागकणों को पोषण प्रदान करता है। टेपीटम की कोशिकाओं में सघन कोशिका द्रव्य व सामान्यतः एक से अधिक केन्द्रक होते हैं? अपरिपक्व लघुबीजाणुधानी में बीज का स्थान बीजाणुजन ऊतक से भरा रहता है। इसी से विकसित लघुबीजाणु मातृ कोशिकाएँ अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित लघुबीजाणु (परागकणों) का निर्माण करती है।