तीव्र मनोवैज्ञानिक प्रतिबल को अंग्रेजी में Severe Psychological Stress कहा जाता है। विफलता, निराशा, तनाव, दबाव, चिन्ता तथा अन्तर्द्वन्द्व आदि आधुनिक जीवन की देन है।
ये विकृतिजन्य प्रतिबल तब बनते हैं जब इनकी तीव्रता अधिक हो जाए तथा इसके अलावा इन पर से व्यक्ति का नियंत्रण ढीला या शिथिल पड़ जाए एवं इसके कारण व्यक्ति के दैनिक क्रिया-कलापों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगे। तीव्र मनोवैज्ञानिक प्रतिबल किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व विकास में बाधक एवं असामान्य व्यवहार के कारक हो सकते हैं। इसके साथ ही इससे व्यक्ति में अनेक दोष; जैसेसंवेगात्मक अपरिपक्वता, आत्मसम्मान की कमी तथा तनाव व अतिसंवेदनशीलता जैसी समस्याएँ या दोष उत्पन्न हो जाते हैं।