निर्धनता के दुष्प्रभाव निम्नलिखित हैं –
1. सामाजिक प्रभाव: गरीबी व्यक्ति को सामाजिक प्रतिष्ठा, पद, भूमिका आदि को भी प्रभावित करती है। गरीबी का अर्थ है-निम्न सामाजिक प्रस्थिति । अधिकांश अपराधी, बाल-अपराधी, आवारा एवं मानसिक रूप से असन्तुलित व्यक्ति गरीब परिवारों के ही होते हैं।
2. दुर्व्यसनों में वृद्धि: गरीबी के कारण लोग मानसिक चिन्ता एवं निराशा से ग्रस्त हो जाते हैं। कई लोग तनाव को कम करने के लिए शराब पीने लगते हैं, तथा जुआ जैसी अनेक प्रवृत्तियों में वृद्धि हो जाती है।
3. चारित्रिक पतन: गरीबी के कारण उच्च चरित्र बनाए रखना सम्भव नहीं हो पाता। आर्थिक अभाव के कारण कभी-कभी बाध्य होकर स्त्रियाँ अपना तन का सौदा करके परिवार का भरण-पोषण करने लगती हैं, कुछ स्त्रियाँ तो गरीबी के कारण ही वेश्यावृत्ति अपनाती हैं।
4. भिक्षावृत्ति: गरीबी भिक्षावृत्ति को उत्पन्न करने के लिए भी जिम्मेदार है।
5. गरीबी, गरीबी को उत्पन्न करती है: निर्धनता एक कुचक्र है। लोग इसलिए बीमार रहते हैं कि वे गरीबी हैं, लोग गरीब इसलिए हैं कि वे बीमार भी है। ‘प्रो. नर्कसे’ कहते हैं कि कोई देश इसलिए निर्धन है कि वह निर्धन है।
6. मानसिक प्रभाव: गरीबी कुपोषण के लिए और कुपोषण मानसिक कमियों के लिए उत्तरदायी है। गरीबी के परिणामस्वरूप व्यक्ति की मानसिक स्थिति क्षीण होती जाती है तथा वह तनावग्रस्त या कुंठा की समस्या से ग्रस्त हो जाता है।
7. गरीबी के शारीरिक प्रभाव: गरीबी शारीरिक कमियों को जन्म देती है। क्षय रोग को गरीबों की बीमारी माना गया है। लम्बी बीमारी व कार्य न करने की क्षमता भी लोगों को गरीब बनाती है।
8. अन्य दुष्प्रभाव:
- गरीबी से अपराधों में वृद्धि होती है।
- गरीबी से समाज में पारिवारिक विघटन भी होता है।