आय और व्यय खाता की आधारभूत विशेषताएँ :
1. प्रकृति: यह लाभ व हानि खाते के समान होता है।
2. मदों की प्रकृति: यह केवल आगम प्रकृति के आय और व्यय का अभिलेखन करता है।
3. अवधि: केवल चालू अवधि से सम्बन्धित आय और व्यय की मदें इसमें दिखाई जाती है। चाहे वह प्राप्त हुई हो या नहीं अथवा वह भुगतान किया हो अथवा नहीं।
4. नाम पक्ष: इस खाते के नाम पक्ष में व्ययों और हानियों का अभिलेखन किया जाता है।
5. जमा पक्ष: इस खाते के जमा पक्ष में आय और अभिलाभों का अभिलेखन किया जाता है।
6. ह्रास: इसमें ह्रास सम्मिलित किया जाता है।
7. आरम्भिक शेष: इसका आरम्भिक शेष नहीं होता है।
8. अन्तिम शेष: अन्तिम शेष आय का व्यय पर आधिक्य या इसके विपरीत स्थिति को दर्शाता है।
प्राप्ति एवं भुगतान खाता की आधारभूत विशेषताएँ :
(1) रोकड़ पुस्तक का सारांश यह रोकड़ पुस्तक का सारांश है। इसका प्रारूप सामान्य रोकड़ पुस्तक (बट्टा और बैंक स्तम्भ के बिना) नाम और जमा पक्ष सहित, के समान है। प्राप्तियाँ नाम पक्ष में दर्ज की जाती हैं, जबकि भुगतान जमा पक्ष में दर्ज होते हैं।
(2) अवधि यह प्राप्तियों और भुगतानों, जिस अवधि से वह सम्बन्धित है, की कुल राशि को दर्शाता है। उदाहरण के लिए, 31 मार्च, 2020 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए हम 2019 - 20 वर्ष के दौरान प्राप्त कुल चंदे की राशि जिसमें 2018 - 19 तथा 2020 - 21 के चंदे भी सम्मिलित हैं, को प्रलेखित करेंगे। इसी प्रकार वर्ष 2019 - 2020 के दौरान भुगतान किए गए कर यदि यह वर्ष 2018 - 19 और 2020 - 2021 से सम्बन्धित है तो भी इनका प्रलेखन 2019 - 2020 के खातों में किया जाएगा।
(3) आयगत एवं पूँजीगत दोनों प्रकार की मदें इसमें सभी प्राप्तियों एवं भुगतानों को सम्मिलित किया जाएगा चाहे वह आयगत प्रकृति के हों या फिर पूँजीगत प्रकृति के।
(4) रोकड़ तथा बैंक सम्बन्धी मदें-रोकड़ तथा बैंक से सम्बन्धित प्राप्तियों/भुगतानों में कोई अन्तर नहीं किया जाएगा। आरम्भिक और अन्तिम शेष को अपवाद माना जाएगा और कुल प्राप्तियों और भुगतान की कुल राशि को इस खाते में दर्शाया जाएगा।
(5) गैर-रोकड़ मदों का लेखा नहीं किसी भी गैर रोकड़ मद जैसे ह्रास, बकाया व्यय तथा अर्जित आय इत्यादि को इस खाते में नहीं दर्शाया जाएगा।
(6) प्रारम्भिक तथा अन्तिम शेष: इसका आरम्भ, रोकड़ के आरम्भिक शेष (हस्तस्थ) और बैंकस्थ (या बैंक अधिविकर्ष) से किया जाएगा और अन्त वर्ष के अन्त में रोकड़ शेष (हस्तस्थ) बैंकस्थ या बैंक अधिविकर्ष के साथ किया जाएगा। इस खाते का अन्तिम शेष (प्राप्ति और भुगतान खाते के प्राप्ति और भुगतानों का अन्तर) जो कि आमतौर पर नाम शेष होता है, रोकड़ हस्तस्थ और बैंकस्थ, यदि बैंक अधिविकर्ष न हो तो, को प्रकट करता है।