राजनीतिक स्वतंत्रता: राज्य के कार्यों व राजनीतिक व्यवस्था में लोगों की भागीदारी को ही राजनीतिक स्वतन्त्रता कहते हैं। गिलक्राइस्ट नामक राजनीतिक चिंतक ने इसे लोकतन्त्र का दूसरा नाम कहा है। यह वह स्वतंत्रता है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को मतदान करने, चुनाव में भाग लेने एवं सार्वजनिक पदों पर नियुक्ति पाने का अधिकार है। जब अपनी आकांक्षा की अभिव्यक्ति तथा राजशक्ति के प्रयोग के अधिकार सर्वसाधारण जनता के हाथों में आ जाते हैं तो राजनीतिक स्वतंत्रता स्थापित हो जाती है।
सरकार का जनता के अधीन रहना और जनमत के अनुसार कार्य करना राजनीतिक स्वतंत्रता का द्योतक है। वर्तमान काल के राज्यों में राजनीतिक स्वतंत्रता नागरिकों को प्राप्त मताधिकार से प्रकट होती है। जनता उन प्रतिनिधियों का निर्वाचन करती है जो न केवल व्यवस्थापन का कार्य करते हैं वरन् शासन विभाग पर नियंत्रण भी रखते हैं।