स्वतंत्रता के प्रकार / रूप: स्वतन्त्रता के विविध प्रकार रूप हैं जिनको निम्नलिखित तरह से समझा जा सकता है-
1. प्राकृतिक स्वतन्त्रता: यह प्रकृति प्रदत्त स्वतन्त्रता है जो व्यक्ति को जन्म के समय ही प्राप्त हो जाती है। राज्य या मानव निर्मित अन्य संस्थाएँ इस स्वतन्त्रता में बाधा उत्पन्न करती हैं। समझौतावादी विचारक – हॉब्स, लॉक, रूसो आदि इसके समर्थक थे।
2. निजी या व्यक्तिगत स्वतन्त्रता: इस स्वतन्त्रता का सम्बन्ध व्यक्ति की जीवन शैली से है। इसका अभिप्राय है यह है कि व्यक्ति को अपने निजी जीवन के कार्यों में स्वतन्त्रता होनी चाहिए। लोकतान्त्रिक देशों में इस प्रकार की स्वतन्त्रता को बहुत महत्व दिया गया है किन्तु जब इसका प्रभाव समाज पर विपरीत पड़ने लगे तो उस पर नियन्त्रण आवश्यक हो जाता है।
3. नागरिक स्वतन्त्रता: हमारे देश में स्वतन्त्रताएँ मौलिक अधिकारों के रूप में संविधान द्वारा प्रदत्त हैं। ये वे स्वतन्त्रताएँ हैं जिन्हें देश का नागरिक होने के कारण समाज स्वीकार करता है और राज्य मान्यता प्रदान कर उनका संरक्षण भी करता है।
4. राजनीतिक स्वतन्त्रता: राज्य के कार्यों व राजनीतिक व्यवस्था में सहभागिता राजनीतिक स्वतन्त्रता है। गिलक्राइस्ट ने इसे दूसरा लोकतन्त्र कहा है।
5. आर्थिक स्वतन्त्रता: आर्थिक स्वतन्त्रता को सभी प्रकार की स्वतन्त्रताओं का आधार माना गया है। इसका अभिप्राय यह है कि व्यक्ति का आर्थिक स्तर ऐसा होना चाहिए जिससे वह बिना किसी वित्तीय चुनौतियों के स्वयं का तथा अपने परिवार का जीवन-यापन आसानी से कर सके। इसमें व्यवसाय चुनने तथा रोजगार की स्वतन्त्रता महत्वपूर्ण है।
6. धार्मिक स्वतन्त्रता: इसका सम्बन्ध व्यक्ति के आन्तरिक विचारों से है। इसके अन्तर्गत व्यक्ति को किसी धर्म को मानने, आस्था व आचरण की छूट का प्रावधान है।
7. नैतिक स्वतन्त्रता: इसका सम्बन्ध व्यक्ति के चरित्र, नैतिकता तथा औचित्यपूर्ण व्यवहार से है। अन्त:करण और नैतिक गुणों से प्रभावित होकर किया जाने वाला कार्य नैतिक स्वतन्त्रता कहलाता है।
8. सामाजिक स्वतन्त्रता: व्यक्ति के साथ जाति, वर्ण, लिंग, नस्ल, धर्म आदि के आधार पर भेदभाव न किया जाना सामाजिक स्वतन्त्रता है। कानून के समक्ष सबको समानता के समान कानूनी संरक्षण प्राप्त हो, यही सामाजिक स्वतन्त्रता है।
9. राष्ट्रीय स्वतन्त्रता: सम्प्रभु राष्ट्र राष्ट्रीय स्वतन्त्रता का परिचायक है। राष्ट्रीय स्वतन्त्रता के बिना व्यक्ति की अन्य सभी स्वतन्त्रताएँ गौण हैं।
10. संवैधानिक स्वतन्त्रता: यह स्वतन्त्रता नागरिकों को संविधान द्वारा दी जाती है। संविधान इनकी रक्षा की गारण्टी देता है और शासन इनमें कटौती नहीं कर सकता। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 में नागरिकों को संवैधानिक उपचारों के अधिकार की व्यवस्था दी गयी है।