'सब घर एक कर देने' का आशय है कि आपसी भेदभाव, अलगाव-बोध तथा आस-पड़ोस के अन्तर को समाप्त करके सभी के प्रति अपनत्व की भावना रखना और वैसा ही आचरण करना। इस तरह का व्यवहार खासकर बच्चे करते हैं। बच्चे खेल में अपने-पराये का भेद भूल जाते हैं, सभी घरों को अपना घर जैसा मानते हैं। उसी तरह कवि अपनी कविता में सारे मानव-समाज को समान मानकर अपनी बात कहता है। कविता में शब्दों के खेल के साथ मानवीय भावना जुड़ी होती है, जिसमें सभी प्रकार की सीमाएँ स्वयं टूट जाती हैं।