धन एवं व्यवसाय में उचित सन्तुलन रखने और विक्रय-लाभ आदि में मानवीय दृष्टिकोण रखने से अर्थशास्त्र को उपयोगी माना जाता है, परन्तु जब बाजार का लक्ष्य अधिक-से-अधिक लाभार्जन करने, तरह-तरह के विज्ञापन एवं प्रदर्शन द्वारा ग्राहकों को गुमराह करने और छलने का हो जाता है, तब उस अर्थशास्त्र को मायावी और अनीतिशास्त्र कहा है।