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निम्नांकित अपठित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

मैंने, कौतूहलवश, आँगन के कोने की
गीली तह को यों ही उँगली से सहलाकर
बीज सेम के दबा दिये मिट्टी के नीचे।
भूके अंचल में मणि माणिक बाँध दिये हों।
ओह, समय पर उनमें कितनी फलियाँ टूटीं!
कितनी सारी फलियाँ, कितनी प्यारी फलियाँ,
यह धरती कितना देती है! धरती माता
कितना देती है अपने प्यारे पुत्रों को!
नहीं समझ पाया था मैं उसके महत्त्व को!
बचपन में, छिः स्वार्थ लोभ वश पैसे बोकर।
रल प्रसविनी है वसुधा, अब समझ सका हूँ।

(अ) कवि ने किस इच्छा से धरती में पैसे बोये थे?
(ब) कवि ने धरती में सेम के बीज क्यों दबा दिये?
(स) 'रन प्रसविनी है वसुधा'-इसका क्या आशय है?
(द) कवि किसके महत्त्व को नहीं समझा पाया था?
(य) कवि को किस पेड़ की फलियाँ प्राप्त हुई?
(र) उपर्युक्त काव्यांश का उचित शीर्षक बताइए।

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(अ) कवि ने सोचा था कि पैसों के पेड़ उगेंगे, अतः उसने स्वार्थ और लोभ में आकर मोटा सेठ बनने की कामना से धरती में पैसे बोये थे।

(ब) कवि ने कौतूहलवश यों ही सेम के बीज धरती में दबा दिये थे।

(स) धरती माता के गर्भ में बहुमूल्य रत्न भरे पड़े हैं, उन भण्डारों को युक्तिपूर्वक बाहर निकालने की आवश्यकता है।

(द) धरती का महत्त्व अपरिमित है, परन्तु कवि बचपन में धरती के महत्त्व को नहीं समझ पाया था।

(य) कवि को सेम के पेड़ की फलियाँ प्राप्त हुईं।

(र) शीर्षक-धरती का महत्त्व।

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