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भारत में गेहूं के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाओं का उल्लेख करते हुए वितरण एवं उत्पादन का वर्णन कीजिए।

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गेहूँ एक शीतोष्ण कटिबन्धीय फसल है। भारत में चावल के पश्चात् गेहूँ दूसरी महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। भारत में गेहूँ की कृषि अति प्राचीन काल से की जा रही है। भारत विश्व का लगभग 12 प्रतिशत गेहूँ उत्पादित करता है। देश के कुल बोये गये क्षेत्र के लगभग 14 प्रतिशत भाग पर गेहूँ की कृषि की जाती है।

आवश्यक भौगोलिक दशाएँ: गेहूँ की कृषि के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ अग्रलिखित हैं –

  • तापमान:

गेहूँ मुख्य रूप से शीतोष्ण कटिबन्धीय पौधा है। गेहूँ को बोते समय 10°C बढ़ते समय 15°C तथा पकते व काटते समय 20°C से 28°C तापमान की आवश्यकता होती है।

  • वर्षा:

गेहूँ की कृषि के लिए 50 से 75 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। अधिक वर्षा इसकी कृषि के लिए हानिकारक होती है। लेकिन कम वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता होती है।

  • मृदा:

गेहूँ की कृषि विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में की जा सकती है। परन्तु इसकी कृषि के लिए दोमट, बलुई दोमट एवं काली मिट्टी अधिक उपयुक्त होती है।

  • धरातल:

गेहूँ की कृषि के लिए समतल एवं उपयुक्त जल निकास वाली भूमि होनी चाहिए।

  • श्रम:

गेहूँ की कृषि के लिए अधिक श्रम की आवश्यकता होती है, लेकिन वर्तमान में बढ़ते हुए यंत्रीकरण ने इसकी कृषि में श्रम के महत्व को कम कर दिया है।

उत्पादन एवं वितरण:

भारत में विश्व का लगभग 12 प्रतिशत गेहूँ उत्पादित किया जाता है। शीतोष्ण कटिबन्धीय फसल होने के कारण इसे भारत में शीतकालीन अवधि में रबी की फसल के रूप में उत्पादित किया जाता है। रबी की फसल होने के कारण गेहूँ। की कृषि सिंचाई की सुविधा रखने वाले क्षेत्रों में प्रमुख रूप से की जाती है। लेकिन हिमालय के उच्च पर्वतीय भागों तथा मध्य प्रदेश में मालवा के पठारी भागों पर गेहूँ की कृषि पूर्ण रूप से वर्षा पर निर्भर रहती है।

भारत के प्रमुख गेहूँ उत्पादक क्षेत्र:

भारत में गेहूं उत्पादन की दृष्टि से सतलज, यमुना के ऊपरी गंगा का मैदान सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र में भारत का लगभग 68 प्रतिशत गेहूँ उत्पादित किया जाता है। भारत के प्रमुख गेहूँ उत्पादक राज्यों व उनके क्षेत्रों का संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है।

उत्तर प्रदेश:

यह भारत का अग्रणी गेहूँ उत्पादक राज्य है। इस राज्य में गंगा-यमुना, गंगा-घाघरा दोआबे गेहूं की कृषि के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। जहाँ राज्य का 75 प्रतिशत गेहूँ पैदा होता है। इस राज्य के मुख्य उत्पादक जिले सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, मुरादाबाद, रामपुर, बदायूं, बुलन्दशहर आदि। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014-15 में 25.2 मिलियन टन गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ।

पंजाब:

यह दूसरा बड़ा गेहूँ उत्पादक राज्य है। हरित क्रान्ति के प्रभाव से पंजाब में गेहूं की उपज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यहाँ कुल कृषि भूमि के 30 प्रतिशत भाग पर गेहूँ की कृषि की जाती है। सिंचाई सुविधा एवं उपजाऊ मिट्टी उन्नत खाद बीज के उपयोग से राज्य की औसत उपज 5017 किग्रा प्रति हेक्टेयर पर है जो देश का सर्वाधिक है। 2014-15 में राज्य में 15.8 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ। इस के मुख्य उत्पादक जिले-लुधियाना, जालन्धर, अमृतसर, कपूरथला, फिरोजापुर, भटिण्डा, पटियाला तथा संगरूर है।

हरियाणा:

क्षेत्रफल की दृष्टि से छोटा लेकिन सिंचाई सुविधाओं के कारण 13.5 प्रतिशत गेहूँ उत्पादन कर बड़ा उत्पादक राज्य बन गया है यहाँ रोहतक, हिसार, जिंद, कुरुक्षेत्र, सिरसा, फतेहाबाद, अम्बाला, गुड़गाँव, फरीदाबाद जिलों में देश का 8 प्रतिशत गेहूँ उत्पादन क्षेत्र स्थित है।

मध्यप्रदेश:

मैदानी भागों और मालवा की काली मिट्टी क्षेत्रों में सिंचाई द्वारा गेहूं उत्पादन किया जाता है। वर्ष 2014-15 में राज्य में 14.2 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ। मध्य प्रदेश देश का तीसरा बड़ा गेहूँ उत्पादक राज्य है। इसके प्रमुख उत्पादक जिले गुना, भिण्ड, ग्वालियर, उज्जैन, सागर, इंदौर, जबलपुर आदि हैं।

राजस्थान:

इस राज्य में वर्षा की कमी के कारण सिंचाई द्वारा गेहूं की फसल बोई जाती है। राज्य की कुल कृषि भूमि के 18 प्रतिशत भाग पर गेहूं की कृषि की जाती है। इन्दिरा गाँधी नहर के निर्माण पश्चात् राजस्थान में गेहूं की उपज में वृद्धि हुई है। यहाँ देश को 7-9 प्रतिशत गेहूँ उत्पादन किया जाता है। इसके प्रमुख उत्पादक जिले श्रीगंगानगर, भरतपुर, कोटा, अलवर, बाँरा, जयपुर, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर, बाँसवाड़ा आदि है।

बिहार:

बिहार के उत्तरी मैदानी भागों में गेहूं उत्पादन किया जाता है। राज्य में देश का 6 प्रतिशत गेहूँ उत्पादन होता है। चम्पारन, शाहबाद, दरभंगा, गया, मुजफ्फरनगर, पटना आदि प्रमुख उत्पादक गेहूं जिले हैं।

अन्य गेहूँ उत्पादक राज्य:

पश्चिम बंगाल (मुर्शिदाबाद, नादिया, वीरभूमि, दीनाजपुर), हिमाचल प्रदेश (कांगड़ा मण्डी, शिमला), कर्नाटक (बिजापुर, धारवाड़, बेलगाम), महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु तथा आन्ध्र प्रदेश 500 किग्रा प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन कर सबसे पीछे हैं।

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