चतुर्थ पंचवर्षीय योजना के पूर्व तीन एक वर्षीय योजनाएँ बनाई गयीं। इन वार्षिक योजनाओं का उद्देश्य विकास कार्यक्रमों में निरन्तरता बनाए रखना तथा चौथी पंचवर्षीय योजना के लिए आवश्यक पृष्ठभूमि तैयार करना था। इस अवधि में सार्वजनिक व्यय 6625 करोड़ रुपये रहा। प्रथम दो एकवर्षीय योजनाओं में कृषि को तथा तीसरी में उद्योगों के विकास को महत्त्व दिया गया। इस अवधि में विकास दर 3.8 प्रतिशत रही। कीमतों में वृद्धि हुई, बचत एवं विनियोग घटे। परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में अधिक प्रगति की गति धीमी पड़ गयी थी।