जनजातियों पर आधुनिकता के प्रभावों का उल्लेख निम्नलिखित प्रकार से किया गया है –
1. वनों की अन्धाधुंध कटाई वे सरकार द्वारा शेष वनों को संरक्षित कर देने से वन क्षेत्रों में कमी आ गई है, जिसका इनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
2. वनोपजों तथा वन्य जीवों की कमी एवं भूक्षरण के कारण उर्वरकता में कमी से इनकी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है। जीवन निर्वाह साधनों की कमी के कारण ये कहीं-कहीं लूटपाट वे अपराध भी करने लगे हैं।
3. सीमित कृषि भूमि, बढ़ती जनसंख्या व स्थानीय संसाधनों की सीमितता के कारण ये शहरों व कस्बों में मजदूरी को जाते हैं, जहाँ इनका शोषण होता है।
4. शहरी सम्पर्क के कारण इनके खान-पान, रहन-सहन व पहनावे में अन्तर आया है।
5. नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण इनकी आर्थिक दशा ठीक नहीं हो पा रही है।
6. वर्तमान काल में शिक्षा के प्रसार के कारण इनमें जागरूकता बढ़ी है। ये लोग धीरे-धीरे सरकारी सेवाओं में भी आने लगे हैं।