कवि निराला को वर्षा-ऋतु अधिक आकर्षित करती है। क्योंकि बादलों के भीतर सृजन की ताकत और ध्वंस का सामर्थ्य रहता है। ये बादलों को क्रांति-दूत मानते हैं। बादल शोषित वर्ग के हितैषी होते हैं। बादलों की क्रांति का लाभ दबे-कुचले लोगों को मिलता है। बादलों के आने से नए पौधे हर्षित होते हैं। बादलों द्वारा की गई घनघोर वर्षा से बुराई रूपी कीचड़ साफ हो जाता है तथा आम-व्यक्ति को जीने योग्य स्थिति मिलती है।
इस कविता ने लघु-मानव की खुशहाली का राग गाया है। किसानों व मजदूरों की आकांक्षाएँ बादल को नवनिर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं। और क्रांति सदैव वंचितों का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए कवि बादलों को गर्जना के साथ बारिश करने या क्रांति करने को कहता है। अतः कथ्यानुसार यह शीर्षक उपयुक्त तथा उचित, है।