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मानव में रक्त परिसंचरण तन्त्र सम्बन्धी रोगों का वर्णन करो।

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धिर एवं परिसंचरण सम्बन्धी रोग (Disease Realted to Blood and Circulatory System)

1. उच्च रक्त दाब (High Blood Pressure) या अति तनावे-उच्च रक्त दाब (High B.P) वह अवस्था है जिसमें रक्तचाप सामान्य (120/80) से अधिक होता है। इस मापदंड में 120 mm. Hg (मिमी में पारे का दबाव) को प्रकुंचन (Systole) या पंपिंग दाब और 80 mm Hg को अनुशिथिलन (Diastole) दाब या विराम काल (सहज) रक्त दाब (B.P) कहते हैं। यदि किसी व्यक्ति का रक्त दाब बार-बार मापने पर 140/90 या इससे अधिक होता है तो वह अति तनाव प्रदर्शित करता है। उच्च रक्त चाप (High B.P) हृदय की बीमारियों को जन्म देता है तथा अन्य महत्वपूर्ण अंगों, जैसे–मस्तिष्क तथा गुर्दे (Kidney) जैसे अंगों को प्रभावित करता है।

2. हृद्-धमनी रोग (Cardiac-Artery Disease:CAD)–हृद्-धमनी रोग को प्रायः एथिरोकाठिन्य (Atherosclerosis) कहते हैं। इस रोग में हृदय पेशी के रक्त की आपूर्ति करने वाली वाहिनियाँ प्रभावित होती हैं। यह रोग धमनियों के अन्दर कैल्सियम, वसा तथा अन्य पेशीय ऊतकों के संचित होने से होता है। इससे धमनी की अवकाशिका (Lumen) सँकरी हो जाती है तथा कभी-कभी बंद भी हो सकती है। इसके कारण रुधिर प्रवाह धीमा हो जाता है या रुक जाता है।

3. हृद् शूल (Angina; एन्जाइना)-इसे एन्जाइना पेक्टोरिस (Angina | Pactoris) भी कहते हैं। हृद् पेशी में जब पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुँचती है, तब सीने में दर्द (वक्ष पीड़ा) होता है, जो एन्जाइना (हृदशूल) की पहचान है। एन्जाइना (Angina) स्त्री या पुरुष दोनों में, किसी भी आयु में हो सकता है, लेकिन मध्यावस्था तथा वृद्धावस्था में यह सामान्यतः होता है। यह अवस्था रक्त बहाव के प्रभावित होने से होती है।

4. हृदय आघात (Heart Shock or Attack)- हृदय आघात (Heart shock) के कई कारण होते हैं। इनमें से मुख्य कारण है-कोरोनरी धमनी (Coronary artery) में थक्का बन जाना या रुधिर वाहिका में रुकावट आ जाना यदि व्यक्ति अत्यधिक मोटा है, वह धूम्रपान (Smoking) करता है। उच्च रुधिर दाब, कम व्यायाम, रुधिर में कोलेस्ट्रॉल (Cholestrol) का बढ़ना आदि कारकों से हृदय आघात का खतरा बढ़ जाता है।

5. रक्ताल्पता (Anaemia)- सामान्यतः RBCs या हीमोग्लोबिन की कमी रक्ताल्पता या एनीमिया (Anaemia) कहलाती है। यह विटामिन B,,, फोलिक अम्ल, आयरन की कमी के कारण होता है।

6. वेरिकोस शिराएँ (Vericose Veins) वे व्यक्ति जो अधिकांश समय खड़े होकर काम करते हैं, उनके पैरों की शिराओं में खिंचाव आ जाता है और वे टेड़ी-मेड़ी हो जाती हैं और सही प्रकार से कार्य नहीं कर पाती हैं। इस स्थिति को वेरिकोस शिराएँ (Vericose Veins) कहते हैं।

7. हिमोलाइसिस (Heamolysis)- रुधिर में RBCs या अन्य रुधिर कणिकाओं के फट जाने को रुधिर लयन या हीमोलाइसिस (Haemolysis) कहते हैं।

8. हृदयपात (Heart failure)- हृदय की पेशियों को अचानक रक्त आपूर्ति कम हो जाने पर हृदय को अचानक क्षति पहुँचती है जिसे हृदयपात कहते हैं। इसके कारण हृदय शरीर में विभिन्न भागों में आवश्यकतानुसार रक्त आपूर्ति नहीं कर पाता है। इसे कभी-कभी संकुचित हृदयपात (Congestive heart failure) भी कहते हैं। फेफड़ों का संकुचित (congestion) होना इसका एक बड़ा लक्षण है। यह हृदयघात (Cardiac arrest) से अलग बीमारी है, क्योंकि हृदयघात में हृदय की धड़कनें बन्द हो जाती हैं।

9. हीमोफीलिया या शाही रोग (Haemophilia) यह एक आनुवंशिक रोग है जिसका जीन ‘X’ लिंग गुणसूत्र (Sex chromosome) पर होता है। यह रोग केवल पुरुषों में होता है। मादा इसकी वाहक (Carrier) होती है। इस रोग में चोट लगने पर रक्त का थक्का (Clot) नहीं बन पाता है और शरीर में रुधिर निरन्तर बहता रहा है। इसे सबसे पहले इंग्लैण्ड की महारानी विक्टोरिया के वंशजों वाले शाही परिवार में देखा गया, इसलिए इसे ‘शाही रोग’ कहते हैं।

10. ल्यूकोपीनिया (Lucopenia)- रुधिर में WBC का सामान्य से कम संख्या में पाया जाना ल्यूकोपोनिया (Lucopenia) कहलाता है।

11. टेकीमार्डिया (Techimardia)- हृदय स्पंदन की तीव्र गति हो जाना।

12. ब्रेडीकार्डिया (Bradycardia)- हृदय स्पंदन दर का कम हो जाना।

13. एरीथीमिया (Arrythemia)- हृदय स्पंदन दर अनियमित हो जाना।

14. अधिश्वेत रक्तता (Leukemia)- रुधिर में WBC की संख्या अत्यधिक बढ़ जाने के कारण एक प्र

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