भूमिगत जल का परिपूरण वर्षा के जल से होता है। किंतु हमारे देश में वर्षा की अवधि वर्ष के कुछ महीनों तक ही सीमित रहती है। अत: वर्षाजल का अधिक-से-अधिक संचयन कर उसे भूमिगत जल-स्तर तक पहुँचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाती है ताकि भूमिगत जल-स्तर बना रहे।
भूमिगत जल-स्तर तक वर्षाजल को पहुँचाने के लिए दो प्रकार की व्यवस्थाएँ की जाती हैं—
(i) बोर वेल (bore well) और (ii) डग वेल (dug well)
भूमिगत जल के अनेक लाभ हैं। इसका जल वाष्पीकृत नहीं होता। भूमिगत जल फैलकर कुएँ के जल को परिपूर्ण करते हैं तथा खेतों में नमी बनाए रखते हैं। इसके अतिरिक्त इससे मच्छरों के जनन की समस्या भी नहीं होती। भूमिगत जल मनुष्य तथा जानवरों के अपशिष्ट से झीलों, तालाबों आदि में ठहरे जल के विपरीत संदूषित होने से अपेक्षाकृत सुरक्षित रहता है। स्थानीय स्तर पर वर्षाजल के संचयन के फलस्वरूप लोगों को पीने एवं सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता बनी रहती है।