विद्युत-चुंबक के लिए नरम लोहे का व्यवहार इसलिए होता है की उसकी चुंबकीय प्रवृत्ति बहुत होती है, जिस कारण यह बाह्य चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव से आसानी से चुंबकित हो जाता है। इस्पात उतनी आसानी से चुंबकित नहीं होती है जितनी आसानी से नरम लोहा।
स्थायी चुम्बकों के लिए इस्पात का उपयोग इसलिए होता है कि इसकी धारणशीलता अधिक होती है इसलिए इस्पात में उत्पन्न चुंबकीय बाह्य क्षेत्र हटा लेने पर भी कायम रहता है। इस्पात का विचुंबकीय बल अधिक है इसलिए बहुत अधिक व्यवहार में लाने पर भी उसमें उत्पन्न चुम्बकत्व कमजोर नहीं होता है।
विद्युत चुम्बक एवं स्थायी चुम्बक में प्रमुख अंतर यह है कि विद्युत चुंबक में चुंबकीय क्षेत्र किसी विद्युत प्रवाह किसी माध्यम से बहता है और जब प्रवाह बंद होता है तो यह गायब हो जाता है। जबकि स्थायी चुंबक चुंबकीय सामग्री के बने होते हैं जो चुम्बकित होती हैं और उनका अपना चुंबकीय क्षेत्र होता है।