पृथ्वी पर जीवन या जीवों के वैविध्य और उनकी असंख्य प्रक्रियाओं को 'जैव विविधता कहा जाता है। जैव विविधता में पृथ्वी पर विद्यमान सभी प्रकार के जीवों की गणना होती है। पृथ्वी पर एककोशकीय जीवों से लेकर बहुकोशकीय जटिल जीव तक मौजूद हैं। प्रोटोजोआ, कवक और बैक्टिरिया आदि एककोशिकीय सरल जीवों के उदाहरण हैं जबकि मनुष्य, वनस्पति, पक्षी, मछलियाँ एवं अन्य स्तनधारी जीव आदि जटिल बहुकोशकीय जीवों के उदाहरण हैं। पृथ्वी पर विद्यमान जीवों एवं वनस्पतियों की बहुविविधता ही जैव विविधता कहलाती है। वर्ल्ड रिस्पसेज इन्स्टीट्युट की परिभाषा के अनुसार जैव विविधता का अभिप्राय पृथ्वी के जीवों से है जिनमें आनुवंशिक, प्रजाति एवं पारिस्थितिकी की विविधता भी सम्बद्ध है। विश्व की प्राकृतिक जीवीय सम्पदा जिन पर मानव-जीवन टिका हुआ है और जिन पर उसकी सम्पन्नता निर्भर है-को ही जैव विविधता कहा जाता है। इस पारिभाषिक शब्द का अन्तःसम्बन्ध अनुवांशिकी (gene), प्रजाति (species) और पारिस्थितिकी तंत्र (ecosystem) से है ।
अनुवांशिकी या जीन प्रजातियों की संघटक हैं और जीवों की प्रजातियाँ पारिस्थितिकी तंत्र की संघटक है। इसमें किसी प्रकार के किसी स्तर पर उत्परिवर्तन का अर्थ अन्य में परिवर्तन होगा । अतः जीवों की प्रजातियाँ ही जैव विविधता की अवधारणा का केन्द्र है। सरल शब्दों में जैव विविधता को वाल्टर जी, रॉसेन इस प्रकार परिभाषित किया है-"पादपों, जन्तुओं एवं सूक्ष्म जीवों के विविध प्रकार और विभिन्नता ही जैव विविधता है ।"