भारत में वर्तमान समय में ऊर्जा के गैर परंपरागत साधनों के उपयोग की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है:
ऊर्जा सुरक्षा: भारत की बढ़ती जनसंख्या और अर्थव्यवस्था के विकास के कारण ऊर्जा की मांग में तेजी से वृद्धि हो रही है। जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और इनकी कीमतें भी बढ़ रही हैं। अतः, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता बढ़ाना आवश्यक है।
पर्यावरण संरक्षण: जीवाश्म ईंधन के उपयोग से वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत, जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जलविद्युत और बायोमास, इन समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं।
रोजगार सृजन: गैर परंपरागत ऊर्जा क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की काफी संभावना है। भारत में इस क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिल रहा है।भारत में ऊर्जा के गैर परंपरागत साधनों के उपयोग में तेजी से वृद्धि हो रही है।
वर्ष 2022-23 के अंत तक, भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में अक्षय ऊर्जा का योगदान 40.1% था। इसमें सौर ऊर्जा का योगदान 21.9%, पवन ऊर्जा का योगदान 15.2%, जलविद्युत का योगदान 2.2%, बायोमास का योगदान 1.4% और अन्य अक्षय ऊर्जा का योगदान 9.4% था।
भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक अक्षय ऊर्जा का योगदान कुल बिजली उत्पादन क्षमता में 50% करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।भारत में ऊर्जा के गैर परंपरागत साधनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा कई उपाय किए जा रहे हैं। इनमें अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में सहायता करना, वित्तीय सहायता प्रदान करना और जागरूकता अभियान चलाना शामिल हैं।