अमेरिका में पढ़ने के चलते ही कुछ लोगों ने जयप्रकाश बाबू को अमेरिका का दलाल कहा। चूँकि जयप्रकाश बाबू अपने विद्यार्थी-जीवन से ही कम्युनिस्ट की ओर आंकृष्ट थे, अतः पूँजीवादी देश अमेरिका में पढ़ने के चलते उनके कुछ लोगों को ऐसा लगने लगा कि वे साम्यवाद को छोड़कर पूँजीवाद की ओर आकृष्ट हो गए हैं और वे पूँजीवाद के पक्षधर हो गए हैं।