वे रासायनिक पदार्थ जो जनन अथवा उत्पादकता (productivity) पर नियन्त्रण रखते हैं, प्रतिजनन क्षमता औषधि (antifertility drugs) कहलाते हैं। इनको विकसित करने का उद्देश्य विश्व की बढ़ती हुई आबादी को कम करना एवं उसको नियन्त्रित करना है। इस दिशा में प्रयोग चूहे, मानव, खरगोश एवं बन्दरों पर करके सार्थक परिणाम निकाले गए। जनन नियन्त्रण औषधियों में संश्लेषित ऐस्ट्रोजन (estrogen) तथा प्रोजेस्टेरोन (progesterone) व्युत्पन्नों का मिश्रण होता है। संश्लेषित प्रोजेस्टोरोन व्युत्पन्न प्राकृतिक प्रोजेस्टेरोन से अधिक प्रभावशाली होते हैं। दोनों ही यौगिक हॉर्मोन होते हैं।
(1) संश्लेषित एस्ट्रोजन : मौखिक गर्भ निरोधकों के रूप में दो संश्लेषित एस्ट्रोजन प्रयोग किए जा रहे हैं; जैसे-एथाइनिल एस्ट्रोडाइऑल (ethynyl estradiol)।
(2) संश्लेषित प्रोजेस्टेरोन : ये तीन प्रकार के होते हैं— प्रेगानेन, ओएस्ट्रॉन और गोनॉन। इनमें प्रेगानेन लम्बे समय तक नहीं दी जाती है क्योंकि स्तन कैंसर का भय रहता है। इसी प्रकार ओएस्ट्रॉन जिसे 19 – नॉरटेस्टोस्टेरोन भी कहते हैं, का अधिक समय तक प्रयोग नहीं किया जाता है। गोनॉन सबसे पसंदीदा गर्भ निरोधक हॉर्मोन है जो आजकल प्रयुक्त की जा रही है।
प्रोजेस्टेरोन अण्डोत्सर्ग को निरोधित करता है। नॉरएथिनड्रॉन (norethindrone) संश्लेषित प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न को एक उदाहरण है जो व्यापक रूप से जनन नियन्त्रण गोलियों में प्रयोग होता है। एथाइनिलएस्ट्राडाइऑल (ethynylestradiol) एक एस्ट्रोजन व्युत्पन्न है जो प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न के साथ जनन नियन्त्रण गोलियों में प्रयुक्त होता है।

माइफप्रिस्टॉन एक संश्लेषित स्टेरॉयड है। यह प्रोजेस्टेरोन के प्रभाव को अवरोधित करके गर्भ नियन्त्रण का कार्य करता है।

गर्म निरोधक औषधियों के विभिन्न पार्श्व प्रभाव हैं; जैसे :
1. ये मासिक धर्म को अकथनीय रूप में, लम्बे समय के लिए अधिक रक्तस्राव में बदल देती हैं।
2. इनसे बाँझपन भी उत्पन्न हो जाता है।
3. इनसे महिलाओं का वजन भी बढ़ता है।