यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्ति है कि धन आते ही उसके मन में घमंड का भाव आ जाता है। वह अहंकार पूर्ण बातें और आचरण करने लगता है। धन देखकर कुछ लोग उसकी चाटुकारिता करने लगते हैं। ऐसे में वह धनवान व्यक्ति खुद को बलशाली समझने लगता है। धन और बल का मेल होते ही वह अनैतिक आचरण पर उतर आता है। वह दूसरों को अपने से कमजोर और अनाथ समझने लगता है।