निजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा सार्वजनिक उपक्रमों के स्वामित्व एवं प्रबन्ध को निजी स्वामित्व, प्रबन्ध एवं संचालन में अन्तरित किया जाता है। ऐसे सार्वजनिक क्षेत्र की असफलताओं को दृष्टिगत रखते हुए किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में सन् 1984 ई० में ही तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी ने घोषणा की थी, “सार्वजनिक क्षेत्र ऐसे बहुत से क्षेत्रों में फैल गया है, जहाँ इसे नहीं फैलना चाहिए। था। हम अपने सार्वजनिक क्षेत्र का विकास केवल उन क्षेत्रों में करें, जिनमें निजी क्षेत्र अक्षम है, किन्तु अब हम निजी क्षेत्र के लिए बहुत से द्वार खोल देंगे, ताकि वह अपना विस्तार कर सके और अर्थव्यवस्था अधिक स्वतन्त्र रूप से विकसित हो सके। निजी क्षेत्र को अधिक व्यापक क्षेत्र उपलब्ध कराने के लिए अनेक नीतिगत परिवर्तन किए गए, जिनका सम्बन्ध औद्योगिक लाइसेन्सिग नीति को अधिक उदार बनाने, निर्यात-आयात नीति के अन्तर्गत मात्रात्मक प्रतिंबन्धों को समाप्त करने, राजकोषीय एवं विदेशी पूँजी से सम्बन्धित नियन्त्रणों एवं प्रतिबन्धों को कम करने तथा प्रशासनिक सरलीकरण से था।