गिलफोर्ड ने संवेगों का एक व्यवस्थित वर्गीकरण प्रस्तुत किया है। उसने समस्त मानवीय संवेगों को मुख्य रूप से तीन वर्गों में बाँटा है
(1) प्राथमिक संवेग – इस वर्ग में शक्तिशाली एवं प्रबल संवेगों को सम्मिलित किया गया है। ये संवेग उत्तेजना होने पर प्रकट होते हैं तथा तीव्र हलचल मचा देते हैं। इस वर्ग के मुख्य संवेग हैं-क्रोध तथा भय।।
(2) गौण संवेग – इस वर्ग में उन संवेगों को सम्मिलित किया जाता है जो प्राथमिक संवेगों के समान तीव्र नहीं होते। इन संवेगों की उत्पत्ति एकाएक न होकर धीमी गति से होती है; जैसे-भूख।
(3) कृत्रिम केन्द्रित संवेग – गिलफोर्ड ने इस वर्ग में पाँच प्रकार के संवेगों को सम्मिलित किया है, जिनका सामान्य परिचय निम्नलिखित है
⦁ आत्मकेन्द्रित संवेग-व्यक्ति के आत्म एवं स्वार्थ से सम्बन्धित संवेग; जैसे-आत्मरक्षा का भाव।।
⦁ बौद्धिक संवेग–बौद्धिक क्रियाओं से सम्बन्धित संवेग; जैसे—साहित्य सृजन में आनन्द लेना या स्वाध्याय द्वारा मानसिक शान्ति लाभ।
⦁ सौन्दर्यात्मक संवेग-सौन्दर्यानुभूति से सम्बन्धित संवेग; जैसे—संगीत अथवा प्रकृति का आनन्द लेना।
⦁ पदार्थात्मक संवेग–अन्य पदार्थों या लोगों के हित अथवा सम्पर्क से सम्बन्धित संवेग; जैसे–प्रेम, घृणा, दया तथा परोपकार।
⦁ नैतिक संवेग-नैतिक व्यवहार तथा मान्यताओं से सम्बन्धित संवेग; जैसे—शुभ, अशुभ तथा सत्य।