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विज्ञापन (Advertisement) से क्या आशय है? विज्ञापन के उद्देश्यों अथवा कार्यों का भी उल्लेख कीजिए।

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औद्योगिक क्रान्ति के सूत्रपात ने विश्व के सभी देशों की औद्योगिक इकाइयों को आधुनिकतम तथा स्वचालित मशीनों से सजा दिया। इससे उत्पादन में गुणात्मक एवं मात्रात्मक वृद्धि हुई और वाणिज्य एवं आर्थिक क्षेत्रों की काया ही पलट हो गयी, लेकिन जनसंख्या-वृद्धि तथा मानव सम्पर्को की परिधि व्यापक होने के कारण एक नयी समस्या उभरी। यह समस्या औद्योगिक उत्पादनों की प्रमुखता की वजह से एक ही प्रकार के अनेकानेक उत्पादन बाजार में आने के कारण उत्पादकों के सम्मुख उत्पादित वस्तुओं की बिक्री की समस्या थी। वस्तुत: विज्ञान और तकनीकी की विकसित प्रविधियों की सहायता से एक ही वस्तु अनेक स्थानों पर बहुत-सी कम्पनियों द्वारा बनायी जाने लगी जिससे प्रतियोगिता बहुत बढ़ गयी। प्रगतिशील व्यापारियों एवं औद्योगिक संस्थानों ने बिक्री की समस्या के समाधान तथा अतिरिक्त उपभोक्ताओं को अपने उत्पादन के प्रति आकर्षित करने के विचार से ‘विज्ञापन (Advertisement) का सहारा लिया।

विज्ञापन का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Advertisement)
आधुनिक समय विज्ञापन का समय है। विज्ञापन का शाब्दिक अर्थ है-‘वि + ज्ञापन’ अर्थात् विशेष प्रकार से बताना तथा जानकारी प्रदान करना। ‘विज्ञापन’ एक प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत उपभोक्ताओं का ध्यान किसी उत्पादन (वस्तु) विशेष की ओर इस भाँति आकृष्ट किया जाता है कि वह व्यक्ति उस वस्तु को खरीदने हेतु प्रेरित हो तथा अन्तत: उसे क्रय कर ही ले। अतः विज्ञापन से तात्पर्य उस पद्धति से है जिसके माध्यम से कुछ विशिष्ट एवं निश्चित वस्तुओं अथवा सेवाओं के अस्तित्व एवं विशेषताओं की ओर लोगों का ध्यान खींचा जाता है। कुल मिलाकर विज्ञापन एक तरह का प्रचार है जो किसी वस्तु की आन्तरिक व बाह्य विशेषताओं तथा उपयोगिताओं को लोगों के मस्तिष्क पर इस प्रकार से चित्रित करता है कि वे उसे खरीदने के लिए लालायित हो उठते हैं। इस प्रकार विज्ञापित वह वस्तु पहले की अपेक्षा अधिक बिकने लगती है।

आरडब्ल्यू० हसबैण्ड ने विज्ञापन को इस प्रकार परिभाषित किया है, “विज्ञापन को प्रचार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो कुछ वस्तुओं अथवा सेवाओं के अस्तित्व व गुणों की ओर ध्यान आकर्षित करता है।”
“Advertisement may be defined as publicity which calls attention to the existence and merits of certain goods and services.”
-R. W. Husband

विज्ञापन के उद्देश्य अथवा कार्य अथवा विज्ञापन के मनोवैज्ञानिक आधार (Aims or Functions of Advertisement)
विज्ञापन का अर्थ जानने एवं इसकी परिभाषा का अध्ययन करने के उपरान्त ज्ञात होता है कि विज्ञापन के माध्यम से कुछ उपलब्ध उत्पादनों की ओर ध्यान आकर्षित कराने का प्रयास किया जाता है। इसके साथ ही जो विज्ञापन इस उद्देश्य अथवा कार्य में सफल रहते हैं उनकी उत्पादित वस्तुओं की बिक्री में वृद्धि हो जाती है। विज्ञापन के प्रमुख उद्देश्य अथवा कार्य निम्नलिखित हैं –

(1) ध्यान आकृष्ट करना (To Attract Attention) – विज्ञापन का सर्वप्रथम उद्देश्य एवं कार्य लोगों का ध्यान वस्तु-विशेष की ओर आकृष्ट करना है। विज्ञापन के माध्यम से वस्तु के प्रति यह आकर्षण इतना अधिक उत्पन्न कर दिया जाता है कि लोगों की वस्तु में रुचि बढ़ जाती है तथा वे प्रेरित होकर उसे खरीद लेते हैं। इसके लिए आकर्षक शीर्षक, रंगबिरंगे चित्र, रेडियो पर रुचिकर मधुर ध्वनि तथा टी० वी० पर तस्वीर और आवाज का मनोहारी संगम प्रस्तुत किया जाता है।
(2) रुचि उत्पन्न करना (To Create Interest) – विज्ञापन का दूसरा उद्देश्य या कार्य वस्तु-विशेष में लोगों की रुचि उत्पन्न करना है। विज्ञापनदाता अपनी वस्तु में रुचि उत्पन्न करने के लिए तरह-तरह के साधन अपनाते हैं। विज्ञापन की अनोखी शब्दावली का प्रयोग किया जाता है। पुरुषों में रुचि पैदा करने की दृष्टि से सुन्दर युवतियों के चित्र प्रदर्शित किये जाते हैं। बच्चों को उस वस्तु को प्रयोग करते दिखाया जाता है।
(3) विश्वास पैदा करना (‘Tb Produce Belief) – विज्ञापन का उद्देश्य यह होता है कि उसके माध्यम से उपभोक्ताओं में वस्तु-विशेष के प्रति यह विश्वास पैदा हो जाए कि सिर्फ वही वस्तु उनके लिए उपयोगी हो सकती है, कोई अन्य वस्तु नहीं। विश्वास उत्पन्न करने की दृष्टि से विज्ञापन के चित्र के अतिरिक्त शीर्षक एवं लिखी गयी सामग्री को प्रभावशाली ढंग से संयोजित किया जाता है। उदाहरण के लिए कोई लोकप्रिय गायिका किसी गोली को चूसते हुए यह विश्वास दिलाती है इसके उसके गले की खराश एकदम ठीक ही गयी है।
(4) स्मृति पर प्रभाव (Tb Influence Memory) – विज्ञापन का एक मुख्य उद्देश्य यह भी है। कि किसी वस्तु-विशेष के विषय में जो बातें उसमें व्यक्त की जाएँ वे लोगों के मस्तिष्क पर लम्बे समय तक अंकित रहें तथा उनका प्रभाव स्थायित्व ग्रहण कर सके। मानव स्मृति पर जितना तीव्र प्रभाव विज्ञापन डालेगा इतना ही वह सफल होगा।
(5) क्रय की प्रेरणा (Intention to Buy) – विज्ञापन का अन्तिम किन्तु सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य एवं कार्य यह है कि वह व्यक्ति में विज्ञापित वस्तु को खरीदने की इच्छा उत्पन्न कर दे। वस्तुतः वस्तु के क्रय की प्रेरणा एवं बिक्री के विचार से ही अन्य सभी उद्देश्य जुड़े हैं। इस उद्देश्य में सफल विज्ञापन अपने उपयुक्त सभी उद्देश्यों में सफल समझा जाता है।

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