संरचना एवं आकार के आधार पर डेल्टा तीन प्रकार के होते हैं
1. चापाकार डेल्टा-जब नदी की जलवितरिकाएँ मोटे जलोढ़ का निक्षेप इस प्रकार करती हैं कि बीच की मुख्य धारा आगे बढ़कर अधिक निक्षेप करती है तो चापाकार डेल्टा का निर्माण होता है। सिन्धु, ह्वांग्हो गंगा, पो, राइन आदि नदियों के डेल्टा चापाकार डेल्टा के प्रमुख उदाहरण हैं।
2. पंजाकार डेल्टा-सागर में मिलने से पूर्व नदी की धारा अनेक उपशाखाओं में बँट जाती है। प्रत्येक शाखा के पाश्र्वो पर महीन अवसाद का निक्षेप हो जाता है। यह निक्षेप पक्षियों के पंजे की भाँति दिखलाई पड़ता है, जिससे इसे पंजाकार डेल्टा कहा जाता है। मिसीसिपी नदी का डेल्टा इसका उत्तम उदाहरण है।
3. ज्वारनदमुख डेल्टा-इस प्रकार के डेल्टा का निर्माण नदियों के पूर्वनिर्मित मुहानों पर होता है। कभी-कभी नदी, धारा की तीव्र गति के कारण अवसादों को बहा ले जाती है। दूसरी ओर ज्वार-भाटा भी निक्षेप किए हुए मलबे को बहाकर सागर में ले जाता है; अतः पूर्ण डेल्टा नहीं बन पाता। एसे डेल्टाओं को ज्वारनदमुख डेल्टा कहते हैं। राइन नदी का डेल्टा इसका प्रमुख उदाहरण है।