बनारस में कंपनी के वकील की हत्या करके वजीर अली ने अंग्रेजों को अपनी जांबाजी का सबूत दे दिया था। उसके हिम्मतभरे कारनामों से अंग्रेज हक्का-बक्का रह जाते थे। उसके काम करने का डंग इतना अदभुत था कि अंग्रेज अफसर दाँतों तले उंगली दबाते थे। वह कर्नल कालिंज और उसकी फौज की आंखों में वर्षों तक धूल झोंकता रहा।
कर्नल गोरखपुर के जंगल में हफ्तों तक खेमा डालकर पड़ा रहा। परंतु वजीर अली उसके हाथ नहीं लगा। उसकी जांबाजी देखते ही बनती है, जब वह घुड़सवार बनकर खेमे में आता है और बड़ी सिफत से कर्नल के हाथ से कारतूस लेकर चंपत हो जाता है। वजीर अली के ऐसे करिश्मे उसे एक जांबाज सिपाही साबित करते हैं।