‘उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’ – कथन के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि उसने अपनी प्रियतमा के साथ जो समय व्यतीत किया है वह अतीत बन चुका है। अब वह अपने जीवन के अंतरंग क्षणों को सबके सामने प्रकट नहीं करना चाहता है। उसकी प्रियतमा बाहों में आने से पहले ही उससे दूर हटकर चली गई थी। जिसे वह शब्दों में पिरोकर सबके सामने प्रकट नहीं करना चाहता है।