कवि अपने जीवन में दुःखी रहा क्योंकि उसे सुख नहीं मिल पाया। वह अपने अभावग्रस्त जीवन के दुःख को किसी को सुनाना नहीं चाहता है क्योंकि जो समय व्यतीत हो चुका है, उसे याद करने से कोई फायदा नहीं है। प्रसादजी बड़े विनम्र स्वभाव के है। वे अपनी जीवन गाथा को इतना बड़ा नहीं मानते कि उससे किसीको प्रेरणा मिलेगी और लोग वाह-वाह करेंगे। वे अपने अंतरंग जीवन की बात भी साझा करना नहीं चाहते हैं।