संचालन की पारंपरिक विचारधारा की कई कमियों को दूर करने के लिए कई संचालन शास्त्रीयों ने उसमें सुधार करके नये अभिगम/विचार प्रस्थापित किये, जिन्हें नवीन पारंपरिक विचारधारा के रूप में कहा जाता है । 19वीं शताब्दी के अन्त में औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् इकाइयों में उद्योगों का स्वरूप बदला व नई संचालन शक्ति की आवश्यकता उत्पन्न हुई । 20वीं शताब्दी के आरम्भ में आष्टोलियन औद्योगिक मनोवैज्ञानिक ऐल्टन मेयोना होर्थोन, प्रयोगोने इस वर्तनवादी विचारधारा को जन्म दिया । जिससे ऐल्टन मेयोने नवीन पारंपरिक विचारधारा के प्रणेता/जनक कहते हैं । नवीन पारंपरिक विचारधारा संचालन के बारे में वर्तनलक्षी अभिगम तथा समूह वर्तन पर बल दिया जाता है ।