मुद्रा बाजार एक छोटी अवधि की निधियों का बाजार है जो ऐसे द्रव्य सम्पत्तियों के निपटान करता है जिनकी परिपक्वता अवधि एक वर्ष तक होती है। ये परिसम्पत्तियाँ द्रव्य के लिए निकट विकल्प होती हैं। यह ऐसा बाजार है जहाँ कम जोखिम, आरक्षित तथा अल्पकालीन ऋण प्रपत्र होते हैं जो उच्च तरल दैनिक निर्गमित तथा सक्रिय व्यापार योग्य होते हैं। इनकी कोई भौतिक स्थानिकता नहीं होती है परन्तु यह ऐसी क्रियाविधि है जो टेलीफोन व इण्टरनेट के माध्यम से सम्पादित की जाती है। ये अस्थायी रोकड़ की कमी एवं देनदारियों के निपटाने की जरूरतों को पूरा करने हेतु अल्पकालिक निधि उगाहने में सक्षम होते हैं तथा आम वापसी के लिए अधिक या अतिरिक्त निधियों के अस्थायी फैलाव के लिए उपयुक्त होते हैं। बाजार के प्रमुख प्रतिभागी भारतीय रिजर्व बैंक, कॉमर्शियल बैंक, गैर-बैंकिंग वित्त कम्पनियाँ, राज्य सरकारें, वृहद् औद्योगिक घराने तथा म्युचुअल फण्ड आदि हैं।