'कविता के बहाने' कविता में कवि ने एक यात्रा का वर्णन किया है। जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। एक ओर प्रकृति का विशाल साम्राज्य है तथा दूसरी ओर भविष्य की तरफ कदम बढ़ाता बच्चा है। कवि ने चिड़िया के उड़ान के माध्यम से उसके उड़ने की सीमा बताई है कि एक सीमा तक ही वह अपनी उड़ान भर सकती है। उसी तरह फूलों के खिलने, सुगन्ध देने तथा मुरझाने की भी एक सीमा है। समयानुसार फूल खिलता है, रंग और खुशबू बिखेरता है और फिर मुरझा जाता है। लेकिन बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा या बंधन नहीं होता है।
उसी प्रकार कविता भी तो शब्दों का खेल ही है और इस खेल में जड़, चेतन, अतीत और वर्तमान-भविष्य सभी उसके उपकरण मात्र हैं। कविता की कल्पना अनन्त है। शब्दों का जाल अनन्त है। इसलिए जहाँ भी रचनात्मक क्रिया की बात आती है, वहाँ सीमाओं के बंधन स्वतः ही टूट जाते हैं। वह चाहे घर की सीमा हो, भाषा की हो या फिर समय की हो। इन्हीं भावों से संचित कविता कवि की राय को प्रस्तुत करती है।